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    डा. राज बहादुर का PGI चंडीगढ़ में रहा है अहम योगदान, GMCH-32 में बतौर डायरेक्टर प्रिंसिपल दे चुके हैं सेवाएं

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jul 2022 12:46 PM (IST)

    पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बीते रोज बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कालेज का निरीक्षण किया। इस दौरान स्किन वार्ड के फटे व गंदे गद्दे देख वह भड़क गए और वीसी प्राेफेसर राज बहादुर को गंदे बिस्तर पर लेटने को कहा।

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    पीजीआइ, जीएमसीएच-32 और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी घटना की निंदा की गई है।

    विशाल पाठक, चंडीगढ़। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस फरीदकोट के वाइस चांसलर प्रोफेसर राज बहादुर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह एक जाने माने स्पाइनल सर्जन हैं। प्रोफेसर राज बहादुर पीजीआइ चंडीगढ़ और गवर्नमेंट मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (जीएमसीएच-32) के डायरेक्टर प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत रह चुके हैं। वह पीजीआइ में आर्थोपेडिक्स विभाग के प्रमुख के पद पर रह चुके हैं।

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    पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बीते रोज बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कालेज का निरीक्षण किया। इस दौरान स्किन वार्ड के फटे व गंदे गद्दे देख वह भड़क गए और वीसी प्राेफेसर राज बहादुर को गंदे बिस्तर पर लेटने को कहा। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा एक नामचीन डाक्टर और एक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के साथ किए गए इस व्यवहार को लेकर पीजीआइ, जीएमसीएच-32 और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से निंदा की गई है।

    बता दें प्रोफेसर राज बहादुर के साथ हुए इस व्यवहार के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रोफेसर राज बहादुर ने पांच जून 1951 को हिमाचल के ऊना में जन्म लिया था। वह मौजूदा समय में मोहाली स्थित रीजनल स्पाइनल इंजरी सेंटर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और मेंबर सेक्रेटरी का कार्यभार संभाल रहे हैं। इसके अलावा वह फरीदकोट बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस के वाइस चांसलर के पद पर कार्यरत थे। इस पद से अब प्रोफेसर राज बहादुर ने इस्तीफा दे दिया है। प्रोफेसर राज बहादुर ने अपने करियर में 39 वर्ष टीचिंग और रिसर्च में बिताए, जबकि इन 39 वर्ष में से 27 साल तीन महीने वह प्रशासनिक कार्यभार भी संभालते रहे हैं।

    यह है उनकी शैक्षणिक योग्यता

    डा. राज बहादुर ने वर्ष 1970 में पंजाब यूनिवर्सिटी से बीएससी, 1974 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला से एमबीबीएस, 1979 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एमएस आर्थो, 1980 में नेशनल बोर्ड आफ एग्जामिनेशन से एमएनएएमएस, 1981 में यूएसए के इंटनेशनल कालेज आफ एंजियोलाजी से एफआइसीए, 1997 में नेशनल एकेडेमी आफ मेडिकल साइंस से एमएनएएमएस, 1998 में इंटरनेशनल मेडिकल साइंस एकेडेमी से एफआइएमएसए की डिग्री हासिल की है।

    कई अहम पदों और चिकित्सा संस्थानों में दी सेवाएं

    • एक जनवरी से 30 जून 1976 तक शिमला के हिमाचल प्रदेश कालेज आफ स्नोडोन हास्पिटल में हाउस सर्जन सर्जरी का कार्यभार संभाला।
    • एक जुलाई से 31 दिसंबर 1976 तक शिमला के हिमाचल प्रदेश कालेज आफ स्नोडोन हास्पिटल में हाउस सर्जन आर्थोपेडिकक्स का कार्यभार संभाला।
    • वाराणसी स्थित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में एक जनवरी 1977 से 28 फरवरी 1979 तक जूनियर रेजिडेंट, और क्लिनिकल रजिस्ट्रार का कार्यभार संभाला।
    • अपनी सेवा के दौरान एक मार्च 1979 से 2 नवंबर 1979 तक वह हिमाचल कुल्लू के जिला अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन और हरियाणा रोहतक के मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक के रजिस्ट्रार रहे।
    • 23 जनवरी 2006 से 30 नंवबर 2007 तक  पीजीआइ के आर्थोपेडिक विभाग के हेड एवं प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहें। इससे पहले वह 19 दिसंबर 1995 से 22 जनवरी 2006 तक वह जीएमसीएच-32 के आर्थोपेडिक के हेड एवं प्रोफेसर हैं।
    • एक जनवरी 2007 से 23 अप्रैल 2013 तक उन्होंने जीएमसीएच-32 के डायरेक्टर प्रिंसिपल का कार्यभार संभाला।