डाउन सिंड्रोम से पीड़ित विहान को पिता ने दिया हौसला, बोलने-समझने व बैठने में दिक्कत, नेशनल फुटबाॅल चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित मोहाली निवासी 17 वर्षीय विहान ने नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर मिसाल कायम की है। बोलने और समझने में कठिनाई के बावजूद विहान ने अपने पिता के सहयोग और निरंतर अभ्यास से यह मुकाम हासिल किया। उनका अगला लक्ष्य 2027 में स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करना है।

विहान कुमार पिता विवेक कुमार के साथ।
जागरण संवाददाता, मोहाली। जज़्बा, मेहनत और भरोसा अगर ये तीनों साथ हों तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रह जाती। ऐसा कर दिखाया है मोहाली के 17 वर्षीय विहान कुमार ने, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होने के बावजूद नेशनल फुटबाॅल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर मिसाल बन गए हैं।
विहान का जन्म 2008 में हुआ। तीन साल की उम्र तक न वह ठीक से बैठ पाता था, न बोल पाता और न ही चीज़ों को आसानी से समझ पाता था। पिता विवेक कुमार बताते हैं कि शुरू में यह भी नहीं पता था कि विहान स्पेशल चाइल्ड है, लेकिन समय के साथ हालात समझ आए। बावजूद इसके उन्होंने बेटे का हौसला कभी कम नहीं होने दिया।

विवेक कुमार बताते हैं कि खेलों में विहान की दिलचस्पी तब बढ़ी जब एक इवेंट में लोग “इंडिया-इंडिया” चिल्लाते देख वह खुशियों से भर गया। कोविड के दौरान पिता ने उसके साथ फुटबाॅल खेलना शुरू किया।
शुरुआती दौर में विहान बाॅल को किक भी नहीं मार पाता था, लेकिन लगातार प्रैक्टिस और मेहनत ने उसे मजबूत बना दिया। कई फुटबाॅल एकेडमी ने उसे लेने से मना कर दिया, फिर भी विहान का जुनून बना रहा और इसी साल मई में वह अमृतसर में हुए स्टेट कैंप के लिए सलेक्ट हो गया।
17 से 20 नवंबर तक कोलकाता में हुई नेशनल फुटबाॅल चैम्पियनशिप में देशभर के 22 राज्यों से 300 स्पेशल चाइल्ड शामिल हुए। अंडर-17 कैटेगरी में अलग-अलग स्टेट्स के खिलाड़ियों को मिलाकर टीमें बनाई गईं।
विहान की टीम ने पहला स्थान हासिल किया और उसकी स्किल, बाल कंट्रोल और किकिंग स्टाइल ने उसे “बेस्ट प्लेयर” का खिताब दिलाया। हर स्किल में वह सबसे ज्यादा अंक लाकर ओवरऑल टाॅप पर रहा।
विहान का अगला लक्ष्य 2027 में चिली में होने वाले स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। वह फिलहाल फेज-7 गमाडा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कोच अक्षय शर्मा से प्रशिक्षण ले रहा है और लगातार अपने सपनों की ओर बढ़ रहा है। विहान की कहानी साबित करती है कि हौसला अगर मजबूत हो तो कोई भी बाधा सपनों की उड़ान को रोक नहीं सकती।

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