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हल्के में न लें जोड़ों का दर्द, शरीर के बाकी हिस्से भी हो सकते हैं प्रभावित

जोड़ों में दर्द व सूजन से रूमेटायड अर्थराइटिस की संभावना बढ़ जाती है। फोर्टिस अस्पताल की गठिया रोग विशेषज्ञ के मुताबिक इसका कारण जागरूकता में कमी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 13 Oct 2017 12:11 PM (IST)Updated: Fri, 13 Oct 2017 12:11 PM (IST)
हल्के में न लें जोड़ों का दर्द, शरीर के बाकी हिस्से भी हो सकते हैं प्रभावित

जेएनएन, मोहाली। गठिया अथवा रूमेटायड अर्थराइटिस (आरए) के मामलों में वृद्धि का मुख्य कारण जागरूकता की कमी है। यह एक लंबे समय तक बनी रहने वाली बीमारी है, जो छोटे जोड़ों में सामान्य दर्द के रूप में शुरू होती है। इसका इलाज जल्द नहीं कराने पर ये धीरे-धीरे शरीर के बाकी हिस्सों को भी प्रभावित करती है।

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विश्व अर्थराइटिस दिवस के अवसर पर फोर्टिस अस्पताल की गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. सतबीर कौर ने कहा कि रूमेटायड अर्थराइटिस एक क्रोनिक, ऑटो इम्युन बीमारी है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों की सुरक्षा करने वाले ऊतक में इंफ्लामेशन पैदा कर स्वस्थ जोड़ों पर हमला कर शरीर पर हमला करना शुरू कर देती है। इससे सूजन, दर्द और जकडऩ महसूस होती है।

यदि छोटे जोड़ों में दर्द और सूजन कुछ हफ्तों तक रहती है तो रोगी में रूमेटायड अर्थराइटिस होने की अधिक संभावना है। डॉ. सतबीर कौर ने कहा कि इस बीमारी की समय पर पहचान नहीं होने पर उंगलियों का टेढ़ा हो जाना, हाथ की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना आदि समस्याएं होने लगती हैं। इससे व्यक्ति चीजों को उठाने और पकड़ने में असमर्थ हो जाता है। इसके अलावा कोहनी और कंधे जैसी जोड़ों में कमजोरी आ जाती है। इससे प्रभावित हाथ को उठाने में परेशानी होती है। यदि शरीर का निचला अंग प्रभावित होता है तो व्यक्ति बिस्तर पकड़ सकता है।

क्या है रूमेटायड अर्थराइटिस बीमारी

रूमेटायड अर्थराइटिस (आरए) न सिर्फ जोड़ों की बीमारी है, बल्कि यह फेफड़ों और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि रूमेटायड अर्थराइटिस का इलाज संभव नहीं है लेकिन इसे अन्य क्रोनिक बीमारी, मधुमेह की तरह ही प्रभावी रूप से नियंत्रित और प्रबंधित किया जा सकता है।

दर्द निवारक दवाओं का सेवन सहीं नहीं

दर्द से राहत पाने के लिए दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना सहीं नहीं है। रूमेटायड अर्थराइटिस को नियंत्रित करने के लिए कुछ विशेष दवाएं होती हैं लेकिन इस रोग का लंबे समय तक इलाज नहीं कराने पर इलाज करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए इस स्थिति से मुक्ति पाने के लिए रोग का जल्द पता लगाना सही तरीका है।

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