दीवाली पर आपकी सेवा में 24 घंटे ड्यूटी देंगे डॉक्टर, पीजीआई व अस्पतालों में विशेष टीमें तैनात, इमरजेंसी में यहां करें कॉल 0172-2782457 या 2752043
चंडीगढ़ में दीवाली के दौरान स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टर 24 घंटे ड्यूटी पर रहेंगे। पीजीआई और अन्य अस्पतालों में विशेष टीमें तैनात की गई हैं ताकि लोगों को तत्काल चिकित्सा सहायता मिल सके। स्वास्थ्य विभाग ने संभावित दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए विशेष व्यवस्था की है।

पीजीआई में इंजरी और बर्न के मामलों के लिए 24 घंटे विशेष मेडिकल टीमें तैनात रहेंगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। दीपावली के दौरान संभावित हादसों से निपटने के लिए पीजीआइ समेत शहर के सभी सरकारी अस्पताल अलर्ट मोड पर हैं। पीजीआई में इंजरी और बर्न के मामलों के लिए 24 घंटे विशेष मेडिकल टीमें तैनात रहेंगी। अस्पताल प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ग्रीन क्रैकर्स का उपयोग करें और निर्धारित समय सीमा का पालन करें। इसके साथ जीएमएसएच-16 में आपातकालीन मरीजों के लिए 8 बेड आरक्षित किए गए हैं। दिवाली के दिन नेत्र रोग विशेषज्ञ, सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ 24 घंटे ड्यूटी पर रहेंगे। वहीं, मनीमाजरा, सेक्टर-22 और सेक्टर-45 के सिविल अस्पतालों में भी 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
सभी अस्पतालों में बर्न ड्रेसिंग सामग्री, आवश्यक दवा और ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ को पटाखों या जलने से होने वाली चोटों के इलाज के लिए तैनात किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि किसी भी आपात स्थिति में घबराने के बजाय नजदीकी सरकारी अस्पताल जाएं या हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें। स्वास्थ्य विभाग की ओर से 01722782457 -2752043 इमरजेंसी के लिए दो नंबर जारी किए गए है।
यह बोले पीजीआई के विशेषज्ञ
पीजीआई के एडवांस आई सेंटर के प्रमुख डाॅ. एसएस पांडव ने बताया कि दिवाली के दौरान आंखों से जुड़ी समस्याओं के मामले बढ़ जाते हैं। पटाखों से निकलने वाला धुआं, धूल और रासायनिक गैसें आंखों में जलन, लालिमा और दर्द पैदा करती हैं। थोड़ी सी असावधानी आंखों की रोशनी तक प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डाॅ. अतुल पाराशर ने बताया कि हर वर्ष दीवाली के दौरान बड़ी संख्या में लोग गंभीर हाथों की चोटों और जलन की घटनाओं के साथ अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें से कई मामलों में गहरी जलन, उंगलियों का कटना और स्थायी विकलांगता तक हो जाती है। डाॅ. पाराशर ने कहा कि थोड़ी सी सावधानी इन हादसों को पूरी तरह रोक सकती है।
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