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    'नशे में दुर्घटना होने पर सैनिक को नहीं मिलेगी विकलांगता पेंशन', हाईकोर्ट का सख्त आदेश

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:03 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि कोई सैनिक शराब के नशे में दुर्घटना का शिकार होता है तो उसकी विकलांगता को सैन्य सेवा से नहीं जोड़ा जाएगा और वह विकलांगता पेंशन का हकदार नहीं होगा। कोर्ट ने हवलदार कौलवंत सिंह की याचिका खारिज करते हुए आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के फैसले को सही ठहराया।

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    नशे में दुर्घटना होने पर सैनिक को नहीं मिलेगी विकलांगता पेंशन: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि कोई सैन्यकर्मी शराब के नशे में हादसे का शिकार होता है तो उसकी विकलांगता को सैन्य सेवा से जुड़ा नहीं माना जाएगा और वह विकलांगता पेंशन का हकदार नहीं होगा। यह फैसला जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने हवलदार कौलवंत सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया।

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    याचिकाकर्ता ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (दिल्ली पीठ) के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी विकलांगता को सैन्य सेवा से असंबद्ध माना गया था और पेंशन का लाभ देने से इन्कार कर दिया गया था। जनवरी 1999 में हवलदार कौलवंत सिंह एक जूनियर कमीशंड अफसर (जेसीओ) को रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए स्कूटर पर रहे थे।

    इसी दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया और उनकी टांग की हड्डियां टूट गईं थी। मेडिकल बोर्ड ने उन्हें 30 प्रतिशत विकलांग घोषित किया। सिंह का तर्क था कि यह दुर्घटना उनके वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन करते समय हुई इसलिए इसे सेवा संबंधी माना जाना चाहिए। उनके वकील ने दलील दी कि पेंशन रेगुलेशन्स फार द आर्मी, 1961 के तहत यदि विकलांगता 20 प्रतिशत से अधिक है और सैन्य सेवा से जुड़ी है तो विकलांगता पेंशन मिलनी चाहिए।

    सिंह ने कहा कि उन्होंने शराब पी रखी थी, फिर भी वरिष्ठ के आदेश पर जाने को बाध्य थे। सेना ने दावा किया कि सिंह बिना गेट पास यूनिट से बाहर निकले थे, उस समय शराब के नशे में थे और खुद स्कूटर चला रहे थे। इसलिए यह हादसा सैन्य कर्तव्यों के दायरे में नहीं आता। हाई कोर्ट ने माना कि भले ही वरिष्ठ अधिकारी ने आदेश दिया हो, लेकिन शराब पी चुके सैनिक को गाड़ी चलाने से इन्कार करना चाहिए था या अपने वरिष्ठ को सूचित करना चाहिए था।

    शराब के नशे में वाहन चलाना किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। खंडपीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता शराब के प्रभाव में स्कूटर चला रहा था। ऐसे में ट्रिब्यूनल का यह निष्कर्ष कि यह चोट सैन्य सेवा से संबंधित नहीं है, तथ्यों के अनुरूप है। इसमें किसी तरह की त्रुटि नहीं है।”

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में विकलांगता को सैन्य सेवा से जुड़ा नहीं माना जा सकता। लिहाजा आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के 6 अप्रैल, 2023 के आदेश को सही ठहराते हुए हवलदार कौलवंत सिंह की याचिका खारिज कर दी। lहाई कोर्ट ने कहा, शराब पीकर वाहन चलाना अनुशासनहीनता lशराब के नशे में हुआ हादसा सैन्य सेवा से जुड़ा नहीं