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    जीएमसीएच-32 के डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. बीएस चवन कैंसर से हारे जीवन की जंग, मनोचिकित्सा विभाग के 24 साल से थे हेड और एचओडी

    By Vinay KumarEdited By:
    Updated: Fri, 04 Dec 2020 11:24 AM (IST)

    Chandigarh City Newsः कैंसर की बीमारी से लड़ रहे चंडीगढ़ जीएमसीएच-32 के डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रो. डॉ. बीएस चवन का देर रात निधन हो गया। काफी दिनों से व ...और पढ़ें

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    चंडीगढ़ जीएमसीएच-32 के डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रो. डॉ. बीएस चवन का निधन।

    चंडीगढ़ [विशाल पाठक]। जीएमसीएच-32 के डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रो. डॉ. बीएस चवन की देर रात मृत्यु हो गई। काफी दिनों से वे बीमार चल रहे थे। जीएमसीएच-32 में उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने ने अस्पताल में ही अपनी अंतिम सांस ली। जानकारी के अनुसार उन्हें कैंसर था और लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। पिछले एक सप्ताह से वे यहां वेंटिलेटर पर थे। अस्पताल  के प्रशासनिक प्रवक्ता अनिल मोदगिल ने बताया कि देर रात उनकी तबीयत बिगड़ी और रात  ढाई बजे उनका निधन हो गया।

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    24 साल से मनोचिकित्सा विभाग के थे प्रमुख

    गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच-32) में पिछले 24 साल से डॉ. चवन मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख के रूप में भी काम कर रहे थे। वर्ष 1996 में उन्होंने जीएमसीएच-32 में ज्वाइन किया था। इससे पहले डॉ. चवन ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में आठ साल काम किया। डॉ. चवन ने 1987 में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ से मनोरोग का अध्ययन किया और 1998 में ऑस्ट्रेलिया से सामुदायिक मनोचिकित्सा में विश्व स्वास्थ्य संगठन फैलोशिप प्राप्त की। डॉ. बीएस चवन नामचीन मनोचिकित्सक थे। डॉ. चवन द्वारा मनोरोगियों के क्षेत्र में कई रिसर्च और इलाज की नई प्रणाली इजाद कर चुके थे। डॉ. चवन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने गवर्नमेंट रिहैबिलिटेशन इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटी सेक्टर 31 और मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूट सेक्टर 32 के पद पर भी कार्यरत थे।

    डब्ल्यूएचओ से फैलोशिप के अलावा कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार थे उनके नाम

    उन्होंने वर्ष 1998 में ऑस्ट्रेलिया से सामुदायिक मनोरोग में डब्ल्यूएचओ फैलोशिप प्राप्त की थी। वर्ष 2003 में उन्हें एनआइएचएफडब्ल्यू, नई दिल्ली से डिप्लोमा इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन (डीएचएम) की डिग्री हासल की थी। वह नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (एमएएमएस) फेलो ऑफ इंटरनेशनल मेडिकल साइंस एकेडमी (एफआइएमएसएम) के फेलो थे।। प्रो. चवन ने विकलांग व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। वह मानसिक बीमारी और मादक द्रव्यों के सेवन के लिए सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने में सहायक है, जिसमें समुदाय आधारित इनडोर डिटॉक्सिफिकेशन कैंप शामिल हैं। प्रो चवन ने मानसिक रूप से बीमार रोगियों की देखभाल के लिए नियमित सेवाएं शुरू की थी। प्रो. चवन की चंडीगढ़ में 24 घंटे सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन सहित मानसिक स्वास्थ्य में संकट की स्थितियों के लिए होम बेस्ड ट्रीटमेंट केयर (एचबीटी) और क्राइसिस इंटरवेंशन सर्विसेज (सीआइएस) शुरू करने में अहम भूमिक रही।

    पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें किया था सम्मानित

    डॉ. बीएस चवन को पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार रोगियों  के लिए पुनर्वास और परीक्षण, व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रयोगशाला, सामाजिक कौशल प्रशिक्षण प्रयोगशाला और संज्ञानात्मक वृद्धि चिकित्सा की स्थापना करने के लिए सम्मानित किया था। इसके अलावा अज्ञात, अनाथ और निराश्रित मानसिक रूप से बीमार रोगियों के लिए उम्मीद और समर्थ जैसे कार्यक्रम शुरू किए थे। प्रो. चवन ने उम्मीद नामक एक परियोजना की कल्पना की और वर्तमान में चंडीगढ़ में उम्मीद के विभिन्न आउटलेटों पर बौद्धिक विकलांगता वाले 60 व्यक्तियों को रखा गया है। उम्मीद को वर्ष 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से सर्वश्रेष्ठ प्लेसमेंट एजेंसी की श्रेणी में राष्ट्रपति पुरस्कार दिया था। मिला। प्रयातन नामक एक अन्य परियोजना के तहत, प्रो चव्हाण ने मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए नौकरी के अवसर पैदा किए हैं। उम्मेद और प्रार्थना दोनों आत्मनिर्भर परियोजनाएं हैं। विकलांगता में मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रो. चवन को वर्ष 2013 में  सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति के रूप में दूसरा राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया।

     

     

     

     

     

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