Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छोटे कर्जदारों के मामलों का फैसला जल्दी, लेकिन 100 करोड़ के मामलों में देरी पर हाईकोर्ट सख्त, जानिये क्या दिए आदेश

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 05:47 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सरफेसी अधिनियम के तहत जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा आदेशों के कार्यान्वयन में देरी पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि ऋण वसूली राशि के आधार पर नहीं बल्कि पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होनी चाहिए। चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी को उपायुक्तों और मजिस्ट्रेटों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने का निर्देश दिया गया है।

    Hero Image
    बैंकों को मिलेगी राहत, डिफाल्ट साबित होने के बाद सुरक्षित संपत्तियों को कब्जे में लेने पर जल्द होगा फैसला

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। छोटे कर्जदारों के मामलों का फैसला जल्दी, लेकिन 100 करोड़ और उससे ज़्यादा के मामलों में देरी की बैंकों की ओर से की गई शिकायत पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। उच्च और निम्न मूल्य के मामलों के बीच किसी भी भेद को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने कहा कि ऋण वसूली संबंधित राशि के आधार पर नहीं हो सकती। आवेदनों का निपटारा पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाना चाहिए। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बुधवार को याचिकाओं का निपटारा करते हुए चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस रमेश कुमारी की खंडपीठ ने वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम की धारा 14 के तहत आदेशों के क्रियान्वयन में जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा बार-बार की जा रही देरी को गंभीरता से लिया है।

    चीफ जस्टिस नागू ने टिप्पणी की कि यह आश्चर्यजनक है कि बार-बार इस अदालत को ऐसी याचिकाओं का सामना करना पड़ता है जिनमें बैंकों की शिकायत है कि धारा 14 के तहत आदेशों का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि कानून में ऐसे आदेशों को 30 से 60 दिनों के भीतर पारित करने और बिना किसी देरी के उन पर अमल करने का प्रविधान है।

    पीठ ने कहा, सिर्फ इसलिए कि क़ानून में अमल के लिए कोई निश्चित समय-सीमा निर्धारित नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि अधिकारी फाइलों को धूल फांकने दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि धारा 14  ज़िला मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को अधिकार देती है कि डिफॉल्ट साबित होने के बाद सुरक्षित संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने में बैंकों की सहायता कर सकें।

    कहा कि स्पष्ट न्यायिक निर्देशों के बावजूद ज़िला मजिस्ट्रेट और अधीनस्थ राजस्व अधिकारी अक्सर महीनों तक फ़ाइलों को लंबित रखते हैं, जिससे सरफेसी अधिनियम की मूल योजना ही विफल हो जाती है। कोर्ट ने कड़ी चेतावनी भी दी कि यदि कोई जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर धारा 14 के तहत अपने कर्तव्य का पालन करने में विफल पाया जाता है तो यह कोर्ट की अवमानना होगी।

    पीठ ने चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी को निर्देश दिया कि वह एक महीने के भीतर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के उपायुक्तों और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करे। कहा कि भागीदारी के बाद यह अपेक्षा की जाती है कि 60 दिनों के भीतर आदेश पारित करने और उनका शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित करने के अपने वैधानिक कर्तव्य का पालन करेंगे।