मासूम के साथ कई बार दुष्कर्म, गला रेता फिर जमीन पर पटक कर मार डाला; दोषी को चंडीगढ़ की अदालत ने दी फांसी की सजा
चंडीगढ़ में आठ साल की बच्ची के साथ दरिंदगी कर हत्या को अंजाम देने वाले दोषी को अदालत ने फांसी की सजा मुकर्रर की है। अदालत ने दोषी को समाज के लिए खतरा माना। एडवोकेट कमलेश मलिक ने कहा कि इसे जेल में तो रोटी मिल जाएगी इसे तो फांसी जरूरी है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। आठ साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या के दोषी 40 वर्ष के हीरा लाल उर्फ गुड्डू को जिला अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है।
डेढ़ साल पुराने इस मामले में अदालत ने गुड्डू को सोमवार को दोषी करार दे दिया था। दोषी ने पड़ोस में रहनी वाली मासूम बच्ची के साथ पहले कई बार दुष्कर्म किया। उसके साथ शारीरिक हिंसा भी की, जिस कारण उसके शरीर पर नौ जगह चोट के निशान थे। फिर आरोपित ने बच्ची का गला रेत दिया।
आखिर में दीवार पर सिर पटक कर बच्ची की हत्या कर दी। गुड्डू वारदात को अंजाम देने के बाद बिहार भाग गया था। पुलिस उसे बिहार से पकड़ कर लाई थी। वहीं, अदालत ने बच्ची के स्वजन को भी 17 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का फैसला सुनाया है।
हाई कोर्ट भेजा जाएगा दोषी
अब यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने बाद ही दोषी को फांसी पर लटकाया जाएगा। बच्ची के परिवार का केस लड़ने वाली एडवोकेट कमलेश मलिक ने शुरुआत से ही इसे दुर्लभ केस बताया था।
एडवोकेट कमलेश का कहना था कि दोषी ने बच्ची के साथ बेरहमी से दुष्कर्म किया और फिर उस मासूम की हत्या कर दी। वारदात के वक्त बच्ची की उम्र महज आठ साल थी और साढ़े चार फीट की इस बच्ची को उसने अपना शिकार समझा और उसके साथ दरिंदगी की। इसलिए उन्होंने दोषी को फांसी दिए जाने की मांग की थी।
यह है मामला?
19 जनवरी 2024 को हल्लोमाजरा में आठ साल की एक बच्ची लापता हो गई थी। वह पड़ोस की एक दुकान से सामान खरीदने गई थी, लेकिन लौटी नहीं। शिकायत मिलने पर पुलिस ने बच्ची को ढूंढना शुरू किया।
पुलिस ने शक के आधार पर पड़ोस के एक मकान की तलाशी ली तो वहां खून से सनी रजाई और एक चाकू बरामद हुआ। उस मकान में रहने वाला शख्स वहां से भाग चुका था। दो दिन बाद पुलिस को बच्ची की लाश जंगल में मिली। लाश को सफेद चादर में लपेटा हुआ था।
जज ने कहा- दोषी समाज के लिए खतरा
जज ने फैसले में कहा कि दोषी समाज के लिए खतरा है। वह भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा और उसमें सुधार की भी कोई संभावना नहीं है। ऐसे में अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुना दी।
जेल में तो रोटी मिल जाएगी, इसे तो फांसी जरूरी: बच्ची के परिवार का केस लड़ने वाली एडवोकेट कमलेश मलिक ने बहस के दौरान कहा कि दोषी पर रहम नहीं करना चाहिए। उसे उम्रकैद की सजा देकर जेल भेजा गया तो वहां उसे दाल रोटी तो मिल ही जाएगी, इसलिए उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए, ताकि अगली बार कोई व्यक्ति किसी की बच्ची के साथ ऐसा न करे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।