Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने पर मौत की सजा या उम्रकैद, बेअदबी के खिलाफ कानून बनाने के लिए बिल पेश करेगी मान सरकार

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 11:33 AM (IST)

    पंजाब सरकार धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों में सजा को लेकर एक बिल लाने की तैयारी में है लेकिन सजा की अवधि पर सहमति नहीं बन पा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान दोषियों के लिए मौत की सजा चाहते हैं जबकि कुछ नेता उम्रकैद के पक्ष में हैं। सरकार कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रही है ताकि एक मजबूत कानून बनाया जा सके जो अदालत में टिक सके।

    Hero Image
    धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने पर मौत की सजा या उम्रकैद (File Photo)

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Punjab News: श्री गुरु ग्रंथ साहिब सहित तमाम धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को लेकर तैयार किए जा रहे बिल पर सजा को लेकर सहमति बनती नहीं दिख रही है। जैसी उम्मीद थी कि कैबिनेट की बैठक से पूर्व एडवोकेट जनरल व एलआर की राय इस पर आ जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूत्रों का कहना है कि सरकार सजा को लेकर सहमत नहीं हो पा रही है। जहां मुख्यमंत्री भगवंत मान ने धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को मौत की सजा का प्रविधान चाहते हैं, वहीं पार्टी के कई सीनियर नेताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में उम्रकैद दी जानी चाहिए।

    विधानसभा सत्र में पेश होगा बिल?

    कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि सरकार बिल का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए अधिकारियों व कानूनविदों के एक पैनल से सलाह ले रही है।

    उन्होंने बताया कि हम लीगल रिमेंबरेंसर (एलआर) और एडवोकेट जनरल (एजी) से राय ले रहे हैं। हम जल्दबाजी में कोई कानून नहीं बनाना चाहते। हम ऐसा मसौदा तैयार करेंगे जिससे कानून की जांच पर रोक लगेगी, भले ही हमें विधानसभा सत्र क्यों न बढ़ाना पड़े।

    उन्होंने कहा कि पिछली अकाली-भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने अपने कार्यकाल में इन विधेयकों को पारित किया था लेकिन कोई भी कानून नहीं बन सका। हम उनका अनुसरण नहीं करना चाहते। बिल तैयार होने के बाद हम कभी भी निर्णय ले सकते हैं।

    राज्य स्तर पर कानून बनेगा?

    सूत्रों ने कहा कि सरकार अब इस बारे में राय ले रही है कि क्या वह राज्य स्तर पर कानून बना सकती है या भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत पहले से मौजूद बेअदबी कानून में संशोधन करना होगा।

    एक सीनियर अधिकारी ने यह भी बताया कि धार्मिक पुस्तकें बाजार में किसी भी अन्य पुस्तक की तरह ही बेची जाती हैं। यह गुरु ग्रंथ साहिब की तरह नहीं है जिसे कोई अन्य संगठन नहीं छाप सकता।