डीएवी कॉलेज-10 के छात्र एथलीट अभय गुप्ता डिस्कस थ्रो में बना चुके हैं कई नेशनल रिकॉर्ड
डीएवी कॉलेज-10 के छात्र एथलीट अभय गुप्ता ने 200
करमजीत परवाना, चंडीगढ़ : डीएवी कॉलेज-10 के छात्र एथलीट अभय गुप्ता ने 2008 में ओपंलिक गेम्स को देखते ही यह मन बना लिया था कि वह भी अपना करियर गेम्स में बनाएंगे और एक दिन वह भी देश के खेलेंगे। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए अभय ने बचपन से डिस्कस थ्रो का अभ्यास शुरू कर दिया। सपने को साकार करते हुए अभय ने अभी तक नेशनल गेम्स में 11 मेडल जीते और चार नए रिकॉर्ड भी बनाए। खेल के साथ-साथ अभय पढ़ाई में भी अच्छे अंकों से पास होते हैं। अभय ने दसवीं में 86 प्रतिशत और बारहवीं में 74 प्रतिशत अकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की है। यहीं नहीं अभय अब ओलंपिक में भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए तैयारियों में जुटे हैं। नेशनल जूनियर में जीता कांस्य पदक
मूल रूप से नारायणगढ़ के रहने वाले अभय कुछ दिन पहले अपना जौहर आंध्रा प्रदेश हुए नेशनल जूनियर एथलीट चैंपियनशिप में दिखा चुके हैं। 2 से 6 नवंबर तक विजयवाड़ा में हुई चैंपियनशिप में अभय ने अंडर-20 कैटेगरी में कांस्य पदक जीता। इससे पहले अक्टूबर में तमिलनाडू में हुई जूनियर फेडरेशन कप में अंडर-20 कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था। वहीं, दो साल पहले बैंकॉक में यूथ एशियन एथलीट चैंपियनशिप में अंडर-18 में न्यू एशियन रिकॉर्ड बना कर गोल्ड मेडल जीता था। नौ साल की उम्र से कर रहे प्रैक्टिस
अभय ने बताया कि जब वह नौ साल के थे और चौथी कक्षा में पढ़ते थे, तो उस समय 2008 के ओलंपिक गेम्स चल रही थी। पापा विकास गुप्ता ओलंपिक गेम्स देखा करते थे। उनके साथ टीवी देखते हुए अभय को भी खिलाड़ी बनाने का शौक पैदा हुआ और उन्होंने अपनी इच्छा पापा के सामाने रखी। पहले तो उसके पापा को लगा कि अभय जल्द ही अपनी इस इच्छा को भूल जाएगा, परंतु अभय के बार-बार कहने कहने पर बेटे की बात माल ली। पापा के जानकार ने शुरू करवाया अभ्यास
अभय ने बताया कि उस समय उनके पापा के जानकार लखविदर सिंह डिस्कस थ्रो के खिलाड़ी थे। जब उन्हें पता चला कि अभय डिस्कस थ्रो खेल में रूचि रखता है तो वो अभय को अपने साथ अभ्यास करवाने लगे। लखविदर के साथ अभ्यास करते करते अभय एक प्रोफेशनल खिलाड़ी की तरह तैयार हो गया। नेशनल गेम्स में जीते 11 मेडल
अभय अभी तक नेशनल गेम्स में 11 मेडल जीत चुके हैं। इसमें आठ गोल्ड मेडल, एक सिल्वर और दो ब्रांज मेडल शामिल हैं। अभय अब अपने आपको ओलपिक के लिए तैयार कर रहा है। इसके लिए अभय पिछले वर्ष पटियाला के एनआइएस इंस्टीट्यूट में युक्रेन से आए कोच से आठ महीने की कोचिंग लेकर आए हैं।
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