डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड: कचरा हटाने के नाम पर करोड़ों का खेल, खत्म ही नहीं होने देना चाहते अधिकारी; लोगों की रोक रहे सांस
चंडीगढ़ के डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड पर कचरे के पहाड़ से स्थानीय लोग परेशान हैं और इस कचरे को हटाने के नाम पर करोड़ों रुपये का खेल चल रहा है। अधिकारियों पर आरोप है कि वे कचरे को खत्म नहीं होने देना चाहते जिससे कचरा हटाने के नाम पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये से अपनी जेबें भरी जा सकें।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड में कचरे के पहाड़ स्थानीय लोगों की सांस रोक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस कचरे के नाम पर करोड़ों रुपये का खेल चल रहा है। सही मायने में अधिकारी इस कचरे को कभी खत्म ही नहीं होने देना चाहते। कचरा खत्म हो गया तो करोड़ों रुपये इसे हटाने के नाम पर कैसे खर्च होंगे और उससे अपनी जेब कैसे गर्म होगी।
आखिर क्या वजह है कि पहले अधिकारी जो समय सीमा कचरा हटाने के लिए निर्धारित करते हैं उस तक कभी इसे हटाया नहीं जा सका। इसे लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा। पहले कचरे के पहाड़ का अनुमान लगाकर इसे कम करने के लिए खुद ही समय सीमा निर्धारित करते हैं फिर उसे आगे बढ़ा देते हैं।
पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) के जरिए जिन कंपनियों को कचरा हटाने का काम दे रखा है उन पर भी खास मेहरबानी है। समय सीमा निकलने पर भी कचरा नहीं हटाने पर कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।
दो पीएसयू को नियमों को ताक पर रख बिना टेंडर ही काम सौंपा गया। तीन महीने की समय सीमा में काम नहीं हुआ, तो बिना जुर्माना लगाए समय सीमा आगे बढ़ा दी। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में 31 मई तक कचरा हटने की जानकारी नगर निगम की तरफ से दी गई थी। वहीं, एनजीटी में 31 जुलाई तक कचरा हटने की समय सीमा दे रखी है।
मेयर को दी गलत जानकारी
इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने मेयर हरप्रीत कौर बबला को भी इस संबंध में गलत जानकारी देकर उनकी आड़ में खुद को बचाने का प्रयास किया है। पीएसयू के तीन माह में काम पूरा नहीं करने पर जुर्माना नहीं लगाने, नियमों के तहत इन्हें काम नहीं देने और कितना कचरा हटा जैसे सवालों के बीच घिरते देख अधिकारियों ने मेयर को सफाई देने के लिए आगे कर दिया।
जबकि असल जवाबदेही अधिकारियों की ही है। मेयर को जितनी जानकारी दी उन्होंने उतनी आगे साझा कर दी। इस जानकारी के बाद मेयर ने अपने कार्यकाल में कचरा हटने की बात कही। यानी अब अधिकारियों ने मेयर के माध्यम से दिसंबर तक की नई समय सीमा तय करने की तैयारी पहले से कर ली है।
मेयर को यह बताया ही नहीं गया कि दोनों कंपनी के तीन महीने में काम पूरा नहीं होने पर क्या कार्रवाई की। कंपनियों को काम नियमों को ताक पर रखकर कैसे दिया। इतना ही नहीं यह तक नहीं बताया कि अभी तक कितना कचरा हट चुका है।
जब मेयर हरप्रीत कौर बबला से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें चीफ इंजीनियर की तरफ से इतनी ही जानकारी दी गई थी। लेकिन अब वह कितना कचरा हटा, कंपनी पर जुर्माना लगाया या नहीं इस पर भी उनसे सवाल करेंगी।
तारीख पर तारीख...
यह डायलाग केवल फिल्मी नहीं है बल्कि असल हकीकत है और डंपिंग ग्राउंड पर सटीक बैठता है। अभी तक डंपिग ग्राउंड से कचरा हटाने के लिए कितने ही दावे और समय सीमा निर्धारित हुई, लेकिन जैसे ही वह तारीख आती है अगली पहले तय हो जाती है। अब तो इन सब दावों और समय से उनका विश्वास ही उठ गया है। इस बार भी उन्हें बरसात के सीजन में कचरे से रिसाव होने वाले गंदे बदबूदार लीचेट से घुटना पड़ेगा। अब तो ऐसा लगता है जैसे इस कचरे के पहाड़ को जानबूझकर खत्म नहीं होने दिया जा रहा।
-दयाल कृष्ण, अध्यक्ष, डंपिंग ग्राउंड ज्वाइंट एक्शन कमेटी, डड्डूमाजरा।
जब से कंपोस्ट प्लांट लगा है तब से तो दुर्गंध इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि अब घर के अंदर भी सांस लेने में परेशानी हो रही है। कंपोस्ट बनाने के लिए कूड़े को फैलाकर सुखाया जाता है। इससे दुर्गंध बढ़ती है। शुरुआत में केवल पांच एकड़ में प्लांट होता था अब तो 45 एकड़ से अधिक में कचरा और प्लांट ही है। कहीं डंपिंग ग्राउंड तो कहीं विभिन्न तरह के प्लांट लग गए हैं।
-लक्ष्मण सिंह, निवासी, डड्डूमाजरा।
किसी को बताते हैं कि वह चंडीगढ़ से हैं तो सब खूबसूरत शहर चंडीगढ़ की सोचते हैं, लेकिन कभी कोई चंडीगढ़ की वही तस्वीर दिल में लेकर घर आता है तो झटका लगता है और दोबारा बुलाने पर भी नहीं आते। घर में कोई रिश्तेदार नहीं आते मजबूरी में कोई आ भी जाए तो रात नहीं रुक सकते।
-प्रीति, निवासी, डड्डूमाजरा।
गर्मी का सीजन है, लेकिन बाहर की दुर्गंध अंदर न आए इसलिए कूलर तक नहीं लगा रहे। 20 वर्ष से कभी कूलर घर में नहीं लगा। बेशक गर्मी में ही परेशान होना पड़े। हवा का रुख रिहायशी एरिया की तरफ हो जाए, तो कपड़ा बांधकर भी दुर्गंध नहीं रुकती है। आगे बारिश का सीजन शुरू होने वाला है बाकी लोग तो खुश होते हैं लेकिन डड्डूमाजरा निवासी दुर्गंध बढ़ने के डर से बारिश नहीं चाहते। लीचेट रिसाव के बाद रिहायशी एरिया तक पहुंच जाता है।
- दिनेश कुमार, निवासी, डड्डूमाजरा।
प्रत्येक घर में विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त मरीज हैं। किसी को दमा तो किसी को चर्म रोग है। आयु सीमा भी दुर्गंध से घट रही है। उन्हें लगता है कि डंपिंग ग्राउंड पर कचरे के पहाड़ अगर सही मायने में हटाने होते, तो कई वर्ष पहले ही हट जाते, लेकिन पहले कचरा गिराने फिर हटाने का खेल करोड़ों रुपये का है। इसलिए शायद इसे कोई हटाना ही नहीं चाहता।
- सुभाष शर्मा, निवासी, डड्डूमाजरा।

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