Updated: Mon, 02 Jun 2025 11:33 PM (IST)
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में नाबालिग बेटे की कस्टडी ऑस्ट्रेलियाई मां को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चे का भविष्य क्षणिक भावनाओं से तय नहीं हो सकता। बच्चे से बातचीत में लगा कि उसे सिखाया गया है। कोर्ट ने पिता को बच्चे और उसके यात्रा दस्तावेज मां को सौंपने के निर्देश दिए ताकि वह उसे ऑस्ट्रेलिया ले जा सके।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग बेटे की कस्टडी आस्ट्रेलियाई मां को सौंपने के आदेश दिए हैं। जस्टिस राजेश भारद्वाज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायिक मर्यादा के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाले पिता के पास बच्चे की कस्टडी न केवल अनुचित है, बल्कि विदेशी अदालत के आदेश के भी खिलाफ है।
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यह मामला तब उठा जब मां के पिता, जो आस्ट्रेलियाई नागरिक हैं, ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर बच्चे वापस दिलाने की गुहार लगाई। दंपती का तलाक हो चुका है और आस्ट्रेलिया की फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति से बेटे व बेटी की कस्टडी मां को दी थी।
पिता को सिर्फ मिलने का अधिकार दिया था। आस्ट्रेलिया की फैमिली कोर्ट ने पिता को आठ जनवरी से दो फरवरी तक बेटे को भारत ले जाने की अनुमति दी थी। पिता ने बाद में बेटा अपने पास रख लिया, जबकि बेटी को भेज दिया।
मां ने आस्ट्रेलिया की फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसके बाद तीन मार्च को कोर्ट ने भारत सरकार व संबंधित पुलिस अधिकारियों से सहयोग करने को कहा, ताकि बच्चे को आस्ट्रेलिया भेजा जा सके। पिता ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि भारत हेग कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, इसलिए आस्ट्रेलियाई कोर्ट का आदेश भारत में लागू नहीं किया जा सकता।
हाई कोर्ट ने इस बात पर विशेष बल दिया कि एक छोटे बच्चे का भविष्य क्षणिक भावनाओं के आधार पर तय नहीं किया जा सकता। बच्चे से संवाद से स्पष्ट हुआ कि वह कोई रटारटाया उत्तर दे रहा हो।
इससे संकेत मिलता है कि संभवतया उसे ट्यूशन किया गया हो। बच्चे का वर्तमान भारत में अच्छा हो सकता है, परंतु भविष्य वहां सुरक्षित रहेगा जहां उसकी परवरिश व्यवस्थित व पूर्ण हो और वह है आस्ट्रेलिया।
मां बिना पुनर्विवाह किए सिर्फ बच्चों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुकी है। हाई कोर्ट ने पिता को निर्देश दिया कि वह बेटे की कस्टडी मां को सौंपे और उसके सभी यात्रा दस्तावेज भी लौटाए।
मां बेटे को आस्ट्रेलिया ले जा सकती है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि एक बच्चा किसी वस्तु की तरह नहीं होता जिसे एक अभिभावक से दूसरे के पास यूं ही भेजा जा सके। उसे माता-पिता दोनों का प्रेम, सान्निध्य और संरक्षण मिलना चाहिए।
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