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    डिजिटल होते परिवेश में और आसान हुई हिदी की व्यापकता

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 14 Sep 2020 05:05 AM (IST)

    हंदी दिवस के उपलक्ष्य में दैनिक जागरण से बातचीत में भाषा विशेषज्ञों और शिक्षकों ने अपनी बेबाक राय पेश की। ...और पढ़ें

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    डिजिटल होते परिवेश में और आसान हुई हिदी की व्यापकता

    वैभव शर्मा, चंडीगढ़

    हिदी केवल भाषा ही नहीं इसे मां का दर्जा भी दिया गया है। बड़े-बड़े साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में हिदी को मां कह कर पुकारा है। आज देश ही नहीं पूरी दुनिया जब डिजिटल की राह पर आगे बढ़ रही है तो कहना गलत न होगा कि ऐसे परिवेश में हिंदी जैसी भाषाओं की व्यापकता और आसान हो गई है। डिजिटल व‌र्ल्ड में तकनीक के सहारे हिंदी जैसी भाषाओं को खास प्राथमिकता दी जा रही है। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में दैनिक जागरण से बातचीत में भाषा विशेषज्ञों और शिक्षकों ने अपनी बेबाक राय पेश की। कहा कि आज के दौर में भाषा का विस्तार कठिन नहीं है। जरूरत इस बात की है कि इसके लिए प्रयास सही दिशा में हो। अंग्रेजी को प्राथमिकता देने के चक्कर में रुका हिंदी का विस्तार

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    डिजिटल की ओर देश बढ़ रहा है यह अच्छी बात है। लेकिन इससे हिदी भाषा के विस्तार पर असर पड़ रहा है। क्योंकि आज भी हम अंग्रेजी भाषा के गुलाम बने हुए हैं। डिजिटल व‌र्ल्ड में भी अंग्रेजी को ही प्राथमिकता दी जाएगी। आज भी हम लोगों की यहीं सोच है कि अगर हम अंग्रेजी बोलेंगे तो हम ज्यादा पढ़े-लिखे माने जाएंगे। ऐसा नहीं है, हिदी में बोलने से भी हमारा रुतबा नीचा नहीं होने वाला। जब तक हमारे देश के उच्च संस्थानों में हिदी को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक हिदी का आधार मजबूत नहीं हो सकता।

    - डॉ. पवन कुमार शर्मा, प्राचार्य, डीएवी कॉलेज-10 दुनिया भर में बढ़ी हिंदी जानने के प्रति दिलचस्पी

    आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं। हमारी राष्ट्रभाषा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिब है। हम हमारे ही देश में अंग्रेजी के गुलाम बन बैठे हैं और हम ही अपनी हिन्दी भाषा को वह मान-सम्मान नहीं दे पा रहे हैं, जो भारत और देश की भाषा के प्रति हर देशवासियों के नजर में होना चाहिए। देश का चौथा स्तंभ मीडिया है। देश में अंग्रेजी मीडिया से ज्यादा लोग हिदी मीडिया में दिलचस्पी लेते हैं।

    - पूजा अलाहन, पीएचडी स्टूडेंट, हिदी विभाग, पीयू और सहायक आचार्य, एफजीएम कॉलेज, आदमपुर, हिसार लोगों में जागरूकता और जानकारी की कमी

    हिदी भाषा की जो वर्तमान स्थिति है, उसमें जो भी डिजिटल माध्यम है, उसमें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। लेकिन दिक्कत यह है कि लोगों में जागरूकता और जानकारी की कमी है। हमें लगता है कि जो डिजिटल माध्यम है, उसमें हिदी का प्रावधान नहीं है। जबकि ऐसा नहीं है। आज हर डिजिटल प्लेटफार्म पर हिदी भाषा उपलब्ध हैं। हिदी का प्रयोग करना डिजिटल में बहुत आसान है। राजनीति से लेकर हर क्षेत्र में हिदी बोली जाती है। हिदी बोलने में हमें गर्व होना चाहिए। जैसी हमारी सोच बन जाती है, वैसा ही हम करते है। हमारा हिदी दिवस मनाने का उद्देश्य सभी भाषाओं का सम्मान है।

    - डॉ. गुरमीत सिंह, विभागाध्यक्ष, हिदी विभाग, पीयू तेजी से बढ़ रहा हिन्दी के प्रति आकर्षण

    डिजिटल होते देश में हिन्दी की स्थिति बहुत अच्छी हो सकती है, जो पाठ्य सामग्री हमारी पहुंच से दूर होती थी, अब वह सहजता से उपलब्ध होने लगी है। हमारे शास्त्र, ग्रंथ कहीं भी-कभी भी पढ़े जा सकते हैं। हमारी अधिकतम जनसंख्या हिन्दी भाषी है। उन्हें डिजिटलाइजेशन से भाषा का चयन कर अपने दस्तावेज जमा करवाना आसान हो गया है। मेरे विचार से हिन्दी का महत्व और आकर्षण अधिक हो गया है।

    -अर्चना नागरथ, प्राचार्य, शारदा सर्वहितकारी स्कूल-40 अपनी भाषा को हमें ही देना होगा महत्व

    डिजिटल भारत मुहिम में भी हम अपने कार्य हिदी में कर सकते है। हां ये बात जरूर है कि कुछ आधुनिक तकनीकों को अपनाने में समस्या जरूर आती है। डिजिटल भारत के सपनों को आगे बढ़ाने के लिए हम हिदी में कई कार्य कर सकते है। हमारे देश में एक सोच बनी हुई है अंग्रेजी बोलने की। लोग हिदी बोलने में शर्म महसूस करते है, ऐसा नहीं होना चाहिए। यह हमारी मातृभाषा है। हमें अपने प्रांतीय भाषा को महत्व देने की जरूरत है। -डॉ. लीम चंद, सहायक आचार्य, हिदी विभाग, पीजीजीसी-46