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    सीटीयू को देना होगा 21 लाख मुआवजा, चंडीगढ़ में चलती बस से गिरकर हुई थी यात्री की मौत

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 02:57 PM (IST)

    चंडीगढ़ में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने तीन साल पुराने सड़क हादसे में पीड़ित परिवार को 21.78 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। लुधियाना के 37 वर्षीय पुष्पिंदर सिंह की बस से गिरने से मौत हो गई थी। परिवार ने बस ड्राइवर सीटीयू और इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। ट्रिब्यूनल ने सीटीयू की दलीलों को नहीं माना और परिवार के हक में फैसला सुनाया।

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    ट्रिब्यूनल ने सीटीयू की दलीलों को नहीं माना और पीड़ित परिवार के हक में फैसला सुनाया।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने तीन साल पुराने एक सड़क हादसे में पीड़ित परिवार को 21.78 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का फैसला सुनाया है। तीन साल पहले सेक्टर-17 बस स्टैंड के पास एक व्यक्ति की सीटीयू बस से गिरने से मौत हो गई थी।

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    मृतक लुधियाना का रहने वाला 37 वर्षीय पुष्पिंदर सिंह था। उसके परिवार ने बस ड्राइवर दीपक सिद्धू, सीटीयू और यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ मुआवजे के लिए याचिका दायर की थी। परिवार ने याचिका में बताया कि 15 मई 2022 को पुष्पिंदर सिंह सीटीयू बस में सफर कर रहे थे।

    सुबह करीब 10.20 बजे जब बस क्रिकेट स्टेडियम चौक से होते हुए सेक्टर-17 पहुंची तभी उसमें जोरदार झटका लगा और बस के पिछले दरवाजे के पास खड़े पुष्पिंदर सिंह बस से बाहर जा गिरे। इस हादसे में वह बुरी तरह घायल हो गए।

    उनके सिर पर गहरी चोट लग गई। उन्हें फौरन सेक्टर-16 के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन ईलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। सेक्टर-17 थाना पुलिस ने आरोपित बस चालक मोहाली निवासी दीपक सिद्धू के खिलाफ आइपीसी की धारा 279, 304ए के तहत केस दर्ज कर लिया।

    परिवार ने मांगा 70 लाख रुपये मुआवजा

    मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि यह हादसा बस चालक की लापरवाही से हुआ था। वह बस को तेज रफ्तार से चला रहा था। परिवार का कहना था कि पुष्पिंदर पेशे से पेंटर थे और उनकी महीने की कमाई करीब 15 हजार रुपये थी। उनकी उम्र महज 37 साल थी और उन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। ऐसे में परिवार ने ट्रिब्यूनल से 70 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की थी।

    सीटीयू ने कहा-ड्राइवर को झूठे केस में फंसाया

    सीटीयू ने ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ड्राइवर को इस मामले में फंसाया गया था। उस दिन जब बस सेक्टर-17 पहुंची थी तो कुछ यात्रियों ने शोर मचाया था कि कोई सड़क पर घायल पड़ा हुआ है। ऐसे में ड्राइवर ने बस रोक ली थी और उसे अपनी बस से ही सेक्टर-16 के अस्पताल पहुंचाया था।

    सीटीयू का कहना है कि पुलिस ने उलटा ड्राइवर पर झूठा केस डाल दिया। इसलिए सीटीयू ने इस याचिका को खारिज करने की मांग की। हालांकि ट्रिब्यूनल ने इन दलीलों को नहीं माना और पीड़ित परिवार के हक में फैसला सुनाया।

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