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प्रशांत किशोर की फौज को खुश करने वालों को ही टिकट, पंजाब कांग्रेस पर बावा की किताब में कई अहम खुलासे

पीएसआइडीसी के चेयरमैन व कांग्रेस नेता कृष्ण कुमार बावा ने अपनी किताब में कई अहम खुलासे किे हैं। लिखा है कि कांग्रेस में शरीफ होना गुनाह है। टिकट के लिए पैसे का जोर चलता है। कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने बावा की किताब को रिलीज किया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 09:27 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 01:30 PM (IST)
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा के चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सेवाएं ली हैं। परंतु कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब राज्य उद्योग विकास कार्पोरेशन के चेयरमैन कृष्ण कुमार बावा की नई किताब राजनीति में बवाल मचा सकती है। दो दिन पहले कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने उनकी किताब, 'संघर्ष के 45 साल' को रिलीज किया था।

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किताब में वाबा ने कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। बावा ने अपनी किताब में प्रशांत किशोर के कामकाज से पर्दा हटाते हुए लिखा है कि कांग्रेस में शरीफ होना गुनाह है। कई ऐसे लोग पैसे के जोर पर टिकट ले जाते हैं, जिनका कांग्रेस की विचारधारा से कोई सरोकार नहीं। टिकट वितरण के समय के समय प्रवासी लोग, दूसरी पार्टियों से आए नेता, धनाढ्य, सेवामुक्त अफसरों के नाम आगे आ जाते हैं।

विधानसभा चुनाव 2017 के का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा कि वह लुधियाना की आत्मनगर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा था लेकिन कई लोग प्रशांत किशोर की फौज को खुश करने में लग गए। कैप्टन के आश्वासन के बावजूद मुझे टिकट नहीं मिला। लोहड़ी के अवसर पर रायकोट में आयोजित समारोह में कैप्टन ने मुझे चिंता न करने को कहा और लुधियाना पूर्वी हलके से चुनाव में उतारने की बात की, लेकिन वही हुआ जो पंजाब मामलों के प्रभारी और स्थानीय नेता चाहते थे। शरीफ होने के कारण मेरा टिकट कट गया।

1992 में उनके गांव से सिर्फ एक वोट पोल हुई थी, जो उन्होंने डाली थी। उनके सिर्फ दो ही माइनस प्वाइंट थे। पहला, राजनीति में उनका कोई गॉडफादर न होना और दूसरा यह कि मेरी जेब का भार इतना नहीं था कि कइयों को खुश कर सकता। कांग्रेस के खिलाफ बोलने वाले केवल पैसे के जोर पर ही टिकट ले जाते हैं।1992 में रायकोट हलके से उन्हें मनिंदरजीत सिंह बिट्टा के कारण टिकट नहीं मिला। बिट्टा ने उनकी अवहेलना करके भूपेश शर्मा को पंजाब यूथ कांग्रेस का प्रधान बना दिया। पंजाब में दो गुट बन गए।

वह विधायक रमेश सिंगला के गुट के साथ थे। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह ने उन्हें पंजाब हाउसफेड का चेयरमैन बना दिया। बेअंत सिंह की मौत के बाद हरचरण बराड़ उन्हें नगर सुधार ट्रस्ट लुधियाना का चेयरमैन लगाना चाहते थे लेकिन बिट्टा ने चेयरमैन न बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया।

बावा ने एक और घटना का जिक्र किया कि पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल उन्हें पंजाब यूथ कांग्रेस का प्रधान बनाने के लिए दिल्ली ले गईं। तारिक अनवर ने उम्र पूछी तो उन्होंने 37 वर्ष बता दी। जिस कारण वह प्रधान नहीं बन सके। ठीक उम्र बताने पर भट्ठल ने मुझे घूरा और कहा कि बैरागी भाईचारे को कांग्रेस ने कभी टिकट नहीं दी। बावा ने निजी जिंदगी के अनुभव शेयर करते हुए लिखा कि एक दिन ऐसे मौका भी आया कि वह पार्टी की सेवा में चंडीगढ़ में व्यस्त थे और सड़क हादसे में उनकी पत्नी का देहांत हो गया। यह दिन उनके लिए दुखों की इंतहा थी।


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