गैंगस्टर लॉरेंस के खिलाफ गवाही देने से शिकायतकर्ता का इन्कार, चंडीगढ़ जिला अदालत से गया फोन तो बोला-नहीं आ सकता, पढ़ें पूरा मामला
गैंगस्टर लॉरेंस के खिलाफ मामले में शिकायतकर्ता ने गवाही देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने उसे फोन किया, लेकिन उसने आने में असमर्थता जताई। मामला 13 वर्षी पहले चंडीगढ़ के सेक्टर-10 स्थित डीएवी काॅलेज में हुई हिंसक झड़प का है। इस मामले गैंगस्टर लाॅरेंस बिश्नोई के खिलाफ अभी भी चंडीगढ़ जिला अदालत में केस चल रहा है। लाॅरेंस के खिलाफ अब कोई भी गवाही नहीं देना चाहता।

आरोप है कि सोपू के समर्थकों ने लॉरेंस बिश्नोई की अगुवाई में हमला किया था।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। डीएवी काॅलेज सेक्टर-10 में 13 साल पहले हुई हिंसक झड़प के मामले में गैंगस्टर लाॅरेंस बिश्नोई के खिलाफ अभी भी चंडीगढ़ जिला अदालत में केस चल रहा है। हालांकि लाॅरेंस के खिलाफ अब कोई भी गवाही नहीं देना चाहता। पुलिस ने 13 साल पहले लांडरां स्थित चंडीगढ़ इंजीनियरिंग काॅलेज के पूर्व छात्र अंकित ग्रोवर की शिकायत पर यह केस दर्ज किया था। अदालत ने अंकित को गवाही के लिए समन भेजे, लेकिन उसने पेश होने से इन्कार कर दिया।
अदालत के आदेश पर स्टाफ ने उससे फोन पर भी बात की, लेकिन उसने पेश होने से मना कर दिया। अब जिला अदालत ने उसके खिलाफ जमानती वारंट भी जारी कर दिए हैं। अब मामले की सुनवाई छह नवंबर को होगी। इस मामले में जीवनजोत, चरणदेवसिंह, नवरीत पाल, संजीव और नवनीत नामक गवाहों की भी गवाही होनी है, लेकिन पुलिस को उनके घर का पता नहीं मिल रहा है।
डीएवी कॉलेज में पुसू और सोपू समर्थक भिड़े थे
मामला 12 जून 2012 का है, जब पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (पुसू) और स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (सोपू) के बीच खूनी झड़प हुई थी। आरोप था कि सोपू के समर्थकों ने लॉरेंस बिश्नोई और अमनदीप सिंह मुल्तानी की अगुवाई में सेक्टर-10 स्थित डीएवी कॉलेज में स्टार नाइट की तैयारियों के दौरान पुसू समर्थकों पर हमला किया था। इस दौरान गोलीबारी और धारदार हथियारों से हमला हुआ था, जिसमें छात्र चरनदेव सिंह को गोली लगी थी और कई अन्य घायल हुए थे।
लाॅरेंस समेत पांच पर एफआईआर, चार बरी हो चुके
सेक्टर-3 थाना पुलिस ने लारेंस बिश्नोई समेत पांच आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया था। हालांकि, 18 फरवरी 2014 को निचली अदालत ने चार आरोपितों अमनदीप सिंह मुल्तानी, विक्की मिड्ढूखेड़ा (अब मृतक), तरसेम सिंह और रंजोध सिंह को बरी कर दिया था, क्योंकि शिकायतकर्ता और गवाह बयानों से मुकर गए थे। तब भी अंकित ग्रोवर की गवाही हुई थी और उसने अदालत में अपने बयान बदल दिए थे।

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