Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सीएम मान ने खुद सुन रहे किसानों की समस्याएं, 48 घंटे में निपटारा करने का दावा

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 06:38 PM (IST)

    पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 'अपना CM – अपने खेता विच' पहल के तहत किसानों की समस्याओं को सीधे खेतों में जाकर सुना और 48 घंटे में समाधान सुनिश्चित किया है। उन्होंने 23 जिलों का दौरा कर 3,200 से अधिक किसानों से संवाद किया। सरकार ने रबी सीजन में गेहूं की खरीद, 24-36 घंटे में भुगतान, जल संरक्षण, मुफ्त बिजली, आधुनिक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी और फसल बीमा जैसी कई योजनाएं लागू की हैं। इससे किसानों को त्वरित सहायता मिल रही है और वे सशक्त महसूस कर रहे हैं।  

    Hero Image

    पंजाब में CM मान खुद सुन रहे किसानों की समस्याएं

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ‘अपना CM – अपने खेता विच’ के माध्यम से राज्य में शासन की एक नई परिभाषा गढ़ी है। यह महज एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत है जहां मुख्यमंत्री स्वयं किसानों के खेतों में पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनते और तत्काल समाधान सुनिश्चित करते हैं। पिछले 10 महीनों में मुख्यमंत्री ने पंजाब के सभी 23 ज़िलों का व्यापक दौरा किया है और 3,200 से अधिक किसानों के साथ सीधा संवाद स्थापित किया है। इस क्रांतिकारी पहल के तहत किसानों की शिकायतों का औसतन 48 घंटे के भीतर निपटारा हो रहा है, जबकि पहले यही प्रक्रिया 20-30 दिनों तक खिंचती थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चालू रबी सीजन 2025 में पंजाब सरकार ने 142 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। पूरे राज्य में 4,500 खरीद केंद्र स्थापित किए गए है जहां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2,275 प्रति क्विंटल की गारंटी के साथ पारदर्शी खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के ज़रिए अब किसानों को फसल बेचने के 24-36 घंटे के भीतर ही भुगतान मिल रहा है और इस सीज़न में अब तक ₹11,400 करोड़ का भुगतान सीधे 7.8 लाख किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया है।

    भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने ₹3,200 करोड़ का विशेष ‘जल संरक्षण और सिंचाई आधुनिकीकरण पैकेज’ लॉन्च किया है। पिछले 15 महीनों में 1,150 किलोमीटर नहरों की सफाई और मरम्मत का काम पूरा हुआ है। ‘पानी बचाओ, पैसा कमाओ’ योजना के तहत माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम अपनाने वाले किसानों को 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से अब तक 28,500 किसान जुड़े हैं, जिससे 35-45 प्रतिशत पानी की बचत हो रही है।

    कृषि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने ‘हर खेत को रोशनी’ अभियान शुरू किया है। वर्तमान में किसानों को दिन में 10-11 घंटे बिजली मिल रही है, जिसे दिसंबर 2025 तक 14-15 घंटे करने का लक्ष्य है। ₹1,650 करोड़ के निवेश से 4,200 नए ट्रांसफॉर्मर लगाए गए है और ‘बिजली’ के ऐप के ज़रिए औसतन 6 घंटे में शिकायतों का निवारण हो रहा है। राज्य सरकार किसानों को मुफ्त बिजली के लिए सालाना ₹8,200 करोड़ की सब्सिडी दे रही है।

    ‘नवीन कृषि यंत्र योजना’ के तहत आधुनिक कृषि उपकरणों पर 50-75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। पिछले 20 महीनों में 46,000 किसानों को ₹820 करोड़ की सब्सिडी मिली है। पराली प्रबंधन के लिए 8,500 मशीनें वितरित की गई है, जिससे पराली जलाने में 68 प्रतिशत की कमी आई है। छोटे किसानों के लिए 420 ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ खोले गए है जहां किराए पर उपकरण मिलते है।

    फसल बीमा योजना के तहत इस वर्ष आपदा प्रभावित 58,000 किसानों को ₹285 करोड़ की राशि 10 दिनों में दी गई। फसल क्षति के आकलन के लिए AI-ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग शुरू हुआ है। ‘पंजाब किसान समृद्धि योजना’ के तहत किसान क्रेडिट कार्ड पर 0-2 प्रतिशत ब्याज पर ₹5 लाख तक का ऋण मिल रहा है। अब तक 3.1 लाख नए KCC जारी किए गए हैं और छोटे किसानों का ₹2,100 करोड़ का कर्ज माफ किया गया है।

    ‘पंजाब किसान पोर्टल’ और ‘किसान सुविधा ऐप’ पर 4.2 लाख किसान रजिस्टर्ड हैं जो मिट्टी परीक्षण, फसल सलाह, मंडी भाव और सब्सिडी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। टोल-फ्री हेल्पलाइन पर 5.2 लाख कॉल आई है और 94 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हुआ है। ज़िला स्तर पर 184 ‘एकीकृत किसान सेवा केंद्र’ खोले गए है जो वन-स्टॉप सॉल्यूशन प्रदान करते है।

    मुख्यमंत्री की यह अनूठी पहल पंजाब में शासन की नई परिभाषा गढ़ रही है। पिछले कईं महीनों से मुख्यमंत्री 4-5 गांवों में जाते है, किसानों के साथ चाय पीते है, खेतों में जाकर समस्याएं सुन रहे है और स्पॉट पर अधिकारियों को निर्देश दे रहे है। 48 घंटे के भीतर एक्शन रिपोर्ट मांगी जाती है। यह औपचारिक दौरे नहीं, बल्कि किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझने और तुरंत समाधान देने की प्रतिबद्धता है। पंजाब का किसान अब आत्मविश्वास से कहता है – “साडा मुख्यमंत्री साडे नाल खड़ा ऐ”। यह पहल साबित करती है कि जब सरकार किसानों को प्राथमिकता देती है और उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील होती है, तो कृषि क्षेत्र में सच्चा परिवर्तन संभव है।