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    सीएम भगवंत मान की प्रदूषण के खिलाफ का 'जीरो टॉलरेंस' नीति, फिरोजपुर के एथनॉल प्लांट पर लगेगा ताला

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 01:26 PM (IST)

    मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने ज़ीरा की विवादित मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड डिस्टलरी को पर्यावरण नियमों के उल्लंघन और प्रदूषण फैलाने के कारण स्थायी रूप से बंद करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में स्पष्ट किया है कि नागरिकों का स्वास्थ्य और स्वच्छ वातावरण का मौलिक अधिकार किसी भी उद्योग के मुनाफे से बढ़कर है। 'प्रदूषणकर्ता भुगतान' सिद्धांत लागू होगा, और यह कदम स्थानीय समूहों के लंबे संघर्ष की जीत है, जो प्रदूषण के प्रति सरकार की 'शून्य-सहिष्णुता' नीति को दर्शाता है।  

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    CM मान ने शुरू किया प्रदूषण फैलाने वालों का हिसाब

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। वो पंजाब जो कभी प्रदूषण की गिरफ्त में था, आज मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एक नए और उज्जवल युग में कदम रख चुका है, जहाँ राज्य का विकास अब फैक्ट्रियों के धुएं पर नहीं, बल्कि स्वच्छ हवा, साफ़ पानी और स्वस्थ जीवन पर टिका है। पंजाब में अब लाभ नहीं, बल्कि लोगों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है! मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए फिरोजपुर की ज़ीरा स्थित विवादित मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (डिस्टलरी और एथनॉल प्लांट) पर हमेशा के लिए ताला लगने जा रहा है। सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के सामने स्पष्ट कर दिया है कि "प्रदूषण फैलाने वालों के लिए पंजाब में कोई जगह नहीं है।"

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    ज़ीरा की यह डिस्टलरी कई सालों से पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही थी। पंजाब सरकार ने NGT में एक हलफनामा (शपथ पत्र), जो विशेष सचिव, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग के मनीष कुमार द्वारा 2 नवंबर, 2025 को दाखिल किया गया, उसमें स्वीकार किया है कि इस फैक्ट्री ने लंबे समय से पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन किया है, जिससे हवा, पानी और मिट्टी गंदी हुई है। यह हलफनामा NGT के 9 सितंबर, 2025 के आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत किया गया। सरकार ने साफ़ किया कि किसी भी उद्योग का मुनाफा, नागरिकों के साफ-सुथरे वातावरण में जीने के मौलिक अधिकार से बड़ा नहीं हो सकता।

    फैक्ट्री मालिक ने पिछली सुनवाई में केवल इथेनॉल प्लांट चलाने की गुजारिश की थी, जिसे सरकार ने सख्ती से नकार दिया। सरकार का कहना है कि जिस फैक्ट्री का रिकॉर्ड इतना खराब है, उसे उसी जगह पर कोई भी काम करने की इजाजत देना जनता की भलाई और कानून के खिलाफ है। हलफनामे में कहा गया है कि परियोजना संचालक की स्थायी बंदी के लिए यह एक उपयुक्त मामला है, क्योंकि डिस्टलरी और इथेनॉल प्लांट का अंतिम उत्पाद रासायनिक रूप से समान (इथाइल अल्कोहल) है और ऐसी औद्योगिक गतिविधियाँ नागरिकों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती हैं। पंजाब सरकार ज़ीरा के नागरिकों के साथ खड़ी है और प्रदूषण के प्रति 'शून्य-सहिष्णुता' (Zero Tolerance) की नीति अपनाएगी।

    सरकार ने इस मामले में 'प्रदूषणकर्ता भुगतान' (Polluter Pays) सिद्धांत को कड़ाई से लागू करने की मांग की है। इसका सीधा मतलब है: जिसने प्रदूषण फैलाया है, उसी को पर्यावरण की बहाली और उपचारात्मक लागतों सहित पूरा खर्च उठाना पड़ेगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ज़ीरा के पर्यावरण की पूरी तरह से साफ-सफाई हो और खर्च भी फैक्ट्री मालिक से ही वसूला जाए। हलफनामे में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि परियोजना उल्लंघनों को माफ नहीं किया जा सकता और उसी प्रवर्तक द्वारा संचालन जारी रखने की अनुमति देना कानून और सार्वजनिक नीति के विपरीत होगा।

    यह सरकारी फैसला ज़ीरा के स्थानीय समूहों, जैसे ज़ीरा साँझा मोर्चा और पब्लिक एक्शन कमेटी (PAC), के लंबे संघर्ष की एक बड़ी जीत है। PAC ने कहा है कि यह पहली बार है जब सरकार ने खुलकर माना है कि एक उद्योग प्रदूषण फैला रहा है और उसे स्थायी रूप से बंद करना चाहिए। यह दिखाता है कि अगर जनता सच्चाई के लिए डटी रहे, तो सरकार को भी हकीकत माननी पड़ती है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने यह साबित कर दिया है कि उनके लिए पंजाब की जनता का स्वास्थ्य और 'रंगला पंजाब' का सपना सबसे ज़रूरी है। इस मामले की अगली और अंतिम सुनवाई NGT में 24 नवंबर को होनी है।