'कोई भी CM बने, लेकिन AAP के नेता...', पंजाब में केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने की कयासों पर क्या बोले भगवंत मान?
Punjab News पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने पद से हटाए जाने की अटकलों के बीच कहा कि उन्हें पद छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई और मुख्यमंत्री बनना चाहता है तो वह बन सकता है। वह पद छोड़ देंगे। हालांकि पार्टी के नेताओं की ओर से दिए जा रहे बयानों से वह दुखी हैं।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Punajb Politics: 11 बजे से लेकर 2 बजकर 40 मिनट तक चली बैठक के बाद जब सभी मंत्री आपस में बैठकर जिला परिषद और ब्लॉक समिति के चुनाव को जीतने के लिए रणनीति बना रहे थे, उसी समय मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें हटाने संबंधी चल रही अटकलों के बीच में खुद ही कहा कि उन्हें पद छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है।
मान ने कहा कि अगर कोई और मुख्यमंत्री बनना चाहता है तो वह बन सकता है। वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि वह इस पद पर बने रहना नहीं चाहते। लेकिन वह पार्टी के नेताओं की ओर से दिए जा रहे बयानों से दुखी हैं।
इस पर पार्टी प्रधान अमन अरोड़ा और वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि पार्टी का कोई भी विधायक, मंत्री आपको इस ओहदे से उतरते देखना नहीं चाहता। आप ही मुख्यमंत्री रहेंगे।
'भगवंत मान को हटाने का समय आ गया है'
काबिले गौर है कि अमृतसर से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने आज कहा कि उनका मानना है कि भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद से हटाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी को अपने कारण बता दिए हैं।
याद रहे कि दो दिन पहले पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ही ओर से पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बुलाई बैठक में भी नहीं गए थे। उन्होंने कहा कि यह बैठक मुददों को उठाने के लिए नहीं थी। कुंवर के इस बयान के बाद जब कैबिनेट की मीटिंग खत्म हो गई और राजनीतिक चर्चा के लिए सभी मंत्री बैठे हुए थे तब मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को जाने के लिए कहा और अपनी बात उनके सामने रखी।
इसके अलावा बैठक में ब्लॉक समितियों और जिला परिषदों के आने वाले चुनाव को लेकर भी लंबी चर्चा की गई। इन चुनाव को जीतने के लिए सभी को एकजुट होकर जूझने को कहा गया।
दिल्ली चुनाव में आप का प्रदर्शन
दिल्ली चुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए निराशाजनक रहे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 48 सीटें मिलीं जबकि आम आदमी पार्टी को 22 सीटें ही मिल सकीं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि दोनों पार्टियों के बीच वोट शेयर का अंतर महज 2 फीसदी (1.99 प्रतीशत) ही रहा।
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