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    शास्त्रीय नृत्य की तीन विधाएं, तीनों का अपना ही रस

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    Updated: Thu, 14 Mar 2019 03:09 PM (IST)

    शास्त्रीय नृत्य की तीन विधाएं तीनों का अपना ही रस। तीनों एक साथ एक ही मंच पर देखने को मिली।

    शास्त्रीय नृत्य की तीन विधाएं, तीनों का अपना ही रस

    जासं, चंडीगढ़ : शास्त्रीय नृत्य की तीन विधाएं, तीनों का अपना ही रस। तीनों एक साथ, एक ही मंच पर देखने को मिली। प्राचीन कला केंद्र द्वारा टैगोर थिएटर-18 में चल रहे 49वें ऑल इंडिया भास्कर राव नृत्य और संगीत सम्मेलन के दौरान बुधवार को नृत्य की त्रिवेणी देखने को मिली। जिसमें कुचिपुड़ी नृत्यांगना मीनू ठाकुर, कथक नृत्यांगना स्वाति तिवारी और ओडिसी नृत्यांगना वानी माधव ने अपने नृत्य की खूबसूरती को बेहतरीन अंदाज में पेश किया। तीनों ने ही अपनी अपनी शैली में दर्शकों का अभिनंदन किया।फिर जगन्ननाथ अष्टकम की प्रस्तुति में तीनों ने ही, अपने अपने नृत्य में भगवान की अराधना को दिखाया। नृत्य में जगन्नाथ की महिमा और भावों का चित्रण किया गया। इसके बाद तीनों ने अष्टपदी की प्रस्तुति दी। इसमें जयदेव की रचना गीत गो¨बद की सुंदर प्रस्तुति शामिल रही। तीनों नृत्य में दिखाई भगवान कृष्ण की लीला मीनू ठाकुर, स्वाति तिवारी और वानी माधव ने अपनी प्रस्तुति में भगवान कृष्ण की लीला को भी दिखाया। जिसमें भगवान की लीला का खूबसूरती से चित्रण किया गया।

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    तीनों ही नृत्य शैली में भगवान कृष्ण के अलग अलग भाव, उनकी लीलाएं और खेल को प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के अंतिम भाग में तराना प्रस्तुत किया गया जिसमें पंडित रवि शंकर की रचना पर आधारित तराना पेश किया और तीनों नृत्य की विधाओं का सुंदर मिश्रण देखने योग्य था । वायलिन से सुनाया शास्त्रीय राग कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में उस्ताद असगर हुसैन ने वायलिन पर शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी।उन्होंने राग सरस्वती से शुरूआत की । जिसमें उन्होंने अलाप से शुरू करके एक विलम्बित बंदिश पेश की और इसी बंदिश को उन्होंने 11 मात्रा 10 मात्रा और 9 मात्रा में एक साथ बजाया। यही इनके वायलिन वादन की विशेषता रही कि जिसमें दर्शकों को पता नहीं चला कि मात्रा कब कम हो गई । इसके बाद उस्ताद हुसैन ने मध्य लय और द्रुत लय तीन ताल में पेश की। इसके बाद उन्होंन दिल्ली घराने की खास दादरा सइयां गए परदेस से की। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।