Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंजाबी संगीत को नई पहचान दिलाने वाले चरणजीत पंचतत्व में विलीन, अंतिम दर्शन के लिए पहुंची कई हस्तियां

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 05:09 PM (IST)

    मशहूर संगीतकार चरणजीत सिंह आहूजा का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे कैंसर से जूझ रहे थे। मोहाली में उनका अंतिम संस्कार किया गया जहां पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री से कई हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आहूजा ने 1980 और 1990 के दशक में पंजाबी संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उनकी धुनें आज भी शादियों में गूंजती हैं। उनके संगीत ने कई गायकों को पहचान दिलाई।

    Hero Image
    रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने चरणजीत आहूजा की अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया।

     जागरण संवाददाता, मोहाली। पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के संगीतकार चरणजीत सिंह आहूजा सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। बड़े बेटे सचिन ने मुखाग्नि दी। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए घर के बाहर रखा गया था। गिप्पी ग्रेवाल, हंसराज हंस, सत्येंद्र बग्गा, सुखी बराड़, लाप सिकंदर, मदन शौकी सहित कई अन्य मशहूर हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने भी अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आहूजा का रविवार को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वे लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे और उनका इलाज मोहाली के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। हाल के दिनों में उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। चरणजीत सिंह आहूजा और उनका परिवार पहले दिल्ली में रहता था, लेकिन कोरोना महामारी से पहले वह मोहाली शिफ्ट हो गए। टीडीआई सिटी में घर बनाया।

    मोहाली में उन्होंने अपना म्यूजिक स्टूडियो स्थापित किया। स्वास्थ्य खराब होने के बाद उन्होंने स्टूडियो आना बंद कर दिया और ज्यादातर समय घर पर ही बिताया। कोरोना काल में जब लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे, तब भी वे अपने स्टूडियो जाते थे और समाज सेवा के लिए लोगों को प्रेरित करते थे। उनके बेटे सचिन आहूजा भी इस दौरान समाज सेवा में सक्रिय रहे।

    आहूजा की बनाई धुनें आज भी शादियों में गूंजती हैं

    चरणजीत आहूजा को पंजाबी संगीत का शिल्पकार माना जाता है। उनकी बनाई धुनें आज भी लोकगीतों, शादियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गूंजती हैं। 1980 और 1990 के दशक में उनकी धुनों ने पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सुरजीत बिंदराखिया, कुलदीप माणक, गुरदास मान, चमकीला, गुरकिरपाल सूरापुरी, सतविंदर बुग्गा जैसे कई लोकप्रिय गायकों को उनकी धुनों ने पहचान दिलाई। कई गायकों ने उनके संगीत के साथ अपने करियर की शुरुआत की और कुछ सुपरस्टार बन गए।