क्या ट्रैफिक कम करने को चंडीगढ़ की पहचान कुर्बान की जाए? हाईकोर्ट ने ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर बनाने पर उठाए सवाल, कहा-ऐसे तो कहीं से भी मांग उठेगी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर निर्माण पर सवाल उठाया कि क्या ट्रैफिक कम करने के लिए चंडीगढ़ की विरासत को कुर्बान किया जा सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि शहर की पहचान उसकी हेरिटेज अवधारणा में है और फ्लाईओवर से शहर फ्लाईओवरों का जंगल बन जाएगा। उन्होंने सतत विकास पर जोर दिया और पैदल यात्रियों के लिए समाधान पूछा। प्रशासन ने फ्लाईओवर को जरूरी बताया, जिसपर कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी।

हाईकोर्ट ने तीखे शब्दों में सवाल उठाया कि क्या ट्रैफिक जाम से राहत के लिए चंडीगढ़ की स्थापत्य और विरासत अवधारणा से समझौता किया जा सकता है?
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आपके शहर की विशिष्टता उसकी हेरिटेज अवधारणा में है। अगर वह चली गई तो सब कुछ चला जाएगा उसकी पहचान खत्म हो जाएगी, वह किसी आम शहर की तरह बन जाएगा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने यह टिप्पणी ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर निर्माण प्रस्ताव पर सुनवाई के दौरान की। उन्होंने तीखे शब्दों में सवाल उठाया कि क्या ट्रैफिक जाम से राहत के लिए चंडीगढ़ की स्थापत्य और विरासत अवधारणा से समझौता किया जा सकता है?
चीफ जस्टिस ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक फ्लाईओवर का नहीं, बल्कि शहर की आत्मा से जुड़ा सवाल है। शहर की अवधारणा और ट्रैफिक जाम दोनों आमने-सामने खड़े हैं। अब यह तय करना है कि किसे प्राथमिकता दी जाए और क्यों? उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एक बार इस तरह का अपवाद स्वीकार कर लिया गया तो यह प्रक्रिया कभी रुकेगी नहीं। उन्होने कहा आज ट्रिब्यून चौक पर बनेगा, कल पंजाब साइड पर मांग उठेगी, फिर किसी और जगह। धीरे-धीरे पूरा शहर फ्लाईओवरों का जंगल बन जाएगा।
चीफ जस्टिस ने कहा कि शहर की जनसंख्या भले भविष्य में बढ़े, लेकिन विकास ‘सतत विकास’ की अवधारणा पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा इस पर दलीलें दीजिए, सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय इस सिद्धांत को स्पष्ट करते हैं। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ मास्टर प्लान में कहीं भी फ्लाईओवर निर्माण की अनुशंसा नहीं की गई है, क्योंकि ऐसे ढांचे शहर की दृश्य संरचना को बाधित करते हैं और पैदल यात्रियों के लिए परेशानी पैदा करते हैं।
इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि तो पैदल चलने वालों का क्या होगा? प्रस्तावित योजना में उनके लिए क्या समाधान है? क्या यह फ्लाईओवर शहर की ग्रिड योजना में प्रवेश करेगा? हाईकोर्ट को बताया गया कि ट्रिब्यून चौक 114 वर्ग किलोमीटर के मास्टर प्लान जोन का हिस्सा है और शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में से एक है। इस पर याची की वकील ने कहा कि भीड़ सिर्फ वहीं नहीं है मनीमाजरा लाइट प्वाइंट, रेलवे स्टेशन, मटका चौक, सेक्टर 15 समेत हर जगह यही स्थिति है। तो क्या पूरा शहर फ्लाईओवर बन जाएगा? कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ की योजना उसके मास्टर प्लान पर आधारित है, न कि केवल इंजीनियरिंग विभाग की सुविधानुसार। उन्होंने कहा कि कुछ लड़ाइया जीतने के लिए नहीं, बल्कि दर्ज कराने के लिए लड़ी जाती हैं।
चंडीगढ़ प्रशासन ने यह दी दलील
सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन ने हाई कोर्ट को बताया कि शहर की बिल्डिंग हेरिटेज है, शहर के रोड हेरिटेज नहीं हो सकते। ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर जहां बनना है वह नेशनल हाईवे का हिस्सा है और समय की जरूरत के अनुसार फ्लाईओवर जरूरी है। यह मामला कई साल से हाईकोर्ट में विचाराधीन था।
ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर पहले 184 करोड़ रुपये में बनना था, लेकिन हाई कोर्ट में याचिका आने के कारण और अब जब हाई कोर्ट ने ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर को हरी झंडी दी अब इसका टेंडर लगभग 281 करोड़ के में छूटने की उम्मीद है। इस ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर को चुनौती वो लोग दे रहे है जिनको रोड वाहन व ट्रैफिक का कोई ज्ञान नहीं है। याचिकाओं के कारण इस फ्लाईओवर के बनने का खर्च अब लगभग 100 करोड़ के करीब बढ़ गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए स्थगित कर दी।
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