चंडीगढ़ में घूम रहे किस प्रजाति के कितने वन्यजीव, 28 नवंबर तक पता चल जाएगा
चंडीगढ़ में वन विभाग ने वन्यजीवों की गणना शुरू कर दी है, जिसकी रिपोर्ट 28 नवंबर तक आएगी। इस गणना में चीतल, नीलगाय, सांभर, हिरण आदि की संख्या और प्रजातियों का विवरण जुटाया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि पिछली जनगणना की तुलना में किस प्रजाति की संख्या बढ़ी या घटी है। इस कार्य में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की मदद ली जा रही है। इस बार सर्वे का दायरा बढ़ाया गया है।

वन्यजीवों की गणना के लिए टीम को प्रशिक्षण दिया गया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सिटी ब्यूटीफुल में किस प्रजाति के कितने वन्यजीव घूम रहे, यह 28 नवंबर तक पता चल जाएगा। वन विभाग ने वीरवार से वन्यजीवों की गणना शुरू कर दी है। चीतल, नीलगाय, सांभर, हिरण और अन्य वन्यजीवों की संख्या के साथ उनकी प्रजातियों का भी विस्तृत ब्योरा जुटाया जाएगा।
यह भी दर्ज किया जाएगा कि पिछली जनगणना की तुलना में किस प्रजाति की संख्या बढ़ी है और किसकी घटी है। इस कार्य के लिए देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम का सहयोग लिया जाएगा। सर्वे से पहले कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
6400 एकड़ में सुखना वन्यजीव अभ्यारण्य
शहर में 6400 एकड़ में सुखना वन्यजीव अभ्यारण्य फैला हुआ है। अभ्यारण्य में सबसे अधिक पाई जाने वाली प्रजाति सांभर रही है। इसके अलावा चीतल, जंगली सूअर, सियार, स्माल इंडियन सिवेट, जंगल कैट, साही, लंगूर, रीसस बंदर, इंडियन हेयर, काॅमन मैंगूस और थ्री-स्ट्राइप्ड पाम स्क्विरल प्रमुख रूप से देखे जाते हैं।
पहली जनगणना 2010 में हुई थी, जबकि दूसरी कोविड-19 और लाकडाउन के चलते 2020 में न होकर मई 2021 में पूरी की गई थी। 2010 की रिपोर्ट में तीन दिन के अंदर 65 पक्षी प्रजातियों की गिनती दर्ज हुई थी और उस समय सांभर की संख्या एक हजार से अधिक पाई गई थी।
पहली बार इतना बड़ा सर्वे
यह पहली बार है जब इतना बड़ा सर्वे किया जा रहा है। 2010, 2021 और 2023 में यह सर्वे सिर्फ सुखना वन्यजीव अभयारण्य तक सीमित था, लेकिन इस बार यह शहर के तीनों जंगल ब्लाॅक, बर्ड सैंक्चुरी, बटरफ्लाई पार्क, पीकाॅक पार्क और अन्य जैव विविधता वाले इलाकों को कवर करेगा।
इस बार दायरे को शहर के उन वन क्षेत्रों तक बढ़ाया गया है जहां वन्यजीव मौजूद हैं—जैसे लेक फॉरेस्ट, पटियाला की राव तथा सुखना चो का रिजर्व फॉरेस्ट एरिया। इस बार आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिनमें कैमरा ट्रैप, ट्रांजेक्ट लाइन, अप्रत्यक्ष आकलन विधि आदि शामिल हैं। इस बार रात्रिकालीन सर्वेक्षण भी किया जाएगा ताकि नोक्टर्नल (रात्रिचर) पक्षियों एवं जानवरों को भी शामिल किया जा सके।
यह सर्वे वैज्ञानिक तरीकों और आधुनिक वन्यजीव निगरानी तकनीकों का इस्तेमाल करेगा। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ और वन विभाग के अधिकारी मिलकर डेटा रिकाॅर्डिंग और फील्ड प्रोटोकाॅल का नेतृत्व करेंगे। इसमें स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप जैसे कई तरह के जीव-जंतुओं का अध्ययन किया जाएगा। उनके रहने की जगह का भी आकलन होगा।
जैव विविधता का पता चलेगा
सुखना झील में एशियाई वाॅटरबर्ड काउंट को भी इसमें शामिल किया जाएगा, ताकि जैव विविधता का और भी बेहतर तरीके से पता चल सके। विभाग के अनुसार इस वर्ष सर्वेक्षण का दायरा बढ़ाते हुए स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों तथा अन्य आवासीय मापदंडों सहित विभिन्न टैक्सोनामिक समूहों की निगरानी शामिल की गई है। विभाग इस बार अधिक समावेशी एवं सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण अपना रहा है, जिससे जनसहभागिता एवं हितधारक परामर्श को और सशक्त किया जा सके।

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