15 दिन में ही आ गई सुखना लेक के फ्लड गेट खोलने की नौबत, खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा लेक का पानी
सुखना झील में 1163 फीट जलस्तर को अंतिम पड़ाव माना जाता है। इसके बाद पानी छोड़ना पड़ता है। इससे अधिक पानी होता है तो वह चैक डैम से ऊपर चला जाता है। इस वजह से लेक से पहले 15 दिनों में ही पानी छोड़ने की नौबत आ गई है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ की लाइफलाइन सुखना लेक अब उफान पर है। ऐसा कहा जा सकता है। यह इसलिए क्योंकि लेक का जलस्तर 15 दिनों में दस फीट तक बढ़ चुका है। वीरवार शाम को हुई तेज बरसात के बाद सुखना लेक का जलस्तर बढ़कर 1162.6 फीट तक पहुंच गया है। इसे खतरे के निशान से ऊपर माना जाता है। यहां लेक का पानी खोलना अनिवार्य हो जाता है।
सुखना झील में 1163 फीट जलस्तर को अंतिम पड़ाव माना जाता है। इसके बाद पानी को बंद नहीं रखा जा सकता। इससे अधिक पानी होता है तो वह चैक डैम से ऊपर चला जाता है। मानूसन सीजन में शहर में अभी तक 330 एमएम से अधिक बारिश हो चुकी है। इस वजह से लेक को पहले 15 दिनों में ही खोलने की नौबत आ गई है।
बताया जा रहा है कि यूटी प्रशासन के अधिकारियों ने आज सुबह लेक के फ्लड गेट खोलने के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन बारिश की संभावना टलते देख अभी ऐसा नहीं किया गया। हालांकि रेगुलेटरी एंड पर टीम तैनात की गई है जो 24 घंटे लेक की मानीटरिंग कर रही है। अब जैसे ही तेज बारिश होती है तो लेक के फ्लड गेट को खोलना ही पड़ेगा। हालांकि आज भी मौसम विभाग ने तेज बारिश के आसार जताए हैं। अगर विभाग का पूर्वानुमान सही रहेगा तो सुखना लेक से पानी छोड़ना पड़ेगा।
यूटी प्रशासन इससे पहले पंचकूला और मोहाली प्रशासन को अलर्ट भेज चुका है। यह अलर्ट इस बात के लिए है कि लेक से पानी कभी भी छोड़ा जा सकता है। ऐसे में उनके एरिया में जहां से सुखना चौ गुजरती है वह इसका ध्यान रखें। बता दें कि लेक का पानी बापूधाम, इंडस्ट्रियल एरिया, मौली जागरां, रायपुर कलां, बलटाना जैसे रेजिडेंशियल एरिया से होकर घग्गर नदी में जाकर गिरता है। इसलिए इन सभी जगहों पर मानीटरिंग की जाती है।
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