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    चंडीगढ़ के स्ट्रीट डॉग अब लंदन की करेंगे सैर, इंग्लैंड लौटी ब्रिटिश उप उच्चायुक्त; साथ ले गई शिमला और सुला

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 06:09 PM (IST)

    चंडीगढ़ की गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्ते शिमला और सुला अब इंग्लैंड की यात्रा करेंगे। ब्रिटिश उप उच्चायुक्त कैरोलिन रोवेट सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अपने साथ ले जा रही हैं। कैरोलिन ने शिमला को सेक्टर-10 से और सुला को हयात रीजेंसी से गोद लिया था। साढ़े चार साल साथ रहने के बाद वह उन्हें इंग्लैंड ले जा रही हैं।

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    चंडीगढ़ के स्ट्रीट डॉग अब लंदन की करेंगे सैर। फोटो जागऱण

    सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। शहर की गलियों में आवारा घूमने वाले स्ट्रीट डॉग शिमला और सुला अब इंग्लैंड की सैर करेंगे। शिमला और सुला को ब्रिटिश उप उच्चायुक्त कैरोलिन रोवेट सेवानिवृत्ति के बाद चंडीगढ़ से लेकर इंग्लैंड के लिए लेकर रवाना हुई है।

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    कैरोलिन रोवेट फरवरी 2021 से शहर में रहकर चंडीगढ़, हिमाचल, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब और उत्तराखंड में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व कर रही थी।

    भारत आने के बाद कैरोलिन ने सेक्टर-10 स्थित सीएलटीए मैदान से शिमला और हयात रैजेंसी से सुला को गोद लिया था। साढ़े चार वर्ष शिमला और सुला के साथ रहने के बाद कैरोलिन दोनों को अपने साथ इंग्लैंड लेकर वापस गई है।

    इंग्लैंड तक शिमला और सुला सुरक्षित सफर करें इसके लिए दोनों को रैबीज के इंजेक्शन लगवाने के बाद लोहे के बड़े पिंजरे बनाए गए है जिसमें डालकर उन्हें चंडीगढ़ से दिल्ली और दिल्ली से इंग्लैंड के लिए कैरोलिन अपने पति के साथ रवाना हो गई है।

    क्वीन आफ शिमला के नाम पर रखा कुत्तिया का नाम

    कैरोलिन बताती है कि जब अंग्रेजों ने भारत में राज किया तो शिमला उनकी राजधानी थी और उसे क्वीन आफ शिमला कहा जाता था। शिमला उस समय भी खूबसूरत थी और आज भी खूबसूरत है।

    शिमला की खूबसूरती से प्रभावित हो मैंने कुत्तिया का नाम शिमला रखा है, जबकि सुला मेरी पसंदीदा भारतीय वाइन ड्रिंक है इसलिए कुत्ते का नाम सुला रखा है। दोनों ही मेरे दिल की बेहद करीब है और कभी अकेलापन या बेगानापन महसूस नहीं होने देते।

    सुला को हयात रीजेंसी से उठाया था कैरोलिन ने

    कैरालिन बताती है कि भारत आने के बाद हयात रीजेंसी चंडीगढ़ की पार्किंग में सुला मिला था। सुला को उस समय चर्म रोग था और स्थिति बेहद खराब थी। उसी समय सुला को गोद लिया पहले इलाज कराया और अपने साथ सेक्टर-9 स्थित घर में साढ़े चार वर्ष रखा।

    वहीं शिमला सीएलटीए मैदान के पास आवारा घूमते हुए मिली थी जिसका पालन-पाेषण भी सुला के समान किया। अब दोनों पालतु मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन चुके है इसलिए इन्हें अपने साथ लेकर जा रही हूं ताकि कोई याद शहर की मेरे साथ रहे।

    आठ महीने पहले शुरु की थी साथ लेकर जाने की प्रक्रिया

    कैरोलिन शिमला और सुला को अपने साथ लेकर जाना चाहती थी जिसके लिए उन्होंनेे आठ महीने पहले तैयारी शुरु की थी। दोनों कुत्तों को रेबीज के इंजेक्शन लगवाए गए हैं। उसके बाद उनके लिए लोहे के बड़े पिंजरे जिसमें वह आराम से बैठ और खड़े हो सकें।

    इसी के साथ दोनों कुत्तों को माइक्रोचिप भी लगाई है ताकि यात्रा के दौरान गुम होने जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े।

    भावुक हुई केयर टेकर सुनीता

    कैरोलिन चंडीगढ़ में रहकर हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के विभिन्न प्रदेशों का सफर करती थी। उस समय घर का शिमला और सुला का ध्यान रखने वाली केयर टेकर (संरक्षक) सुनीता बताती है कि दोनों परिवार का अटूट हिस्सा बन चुके थे।

    कैरोलिन के जाने और उसके वापस आने तक दोनों लगातार लान और गेट पर टकटकी लगाकर देखते थे। जैसे ही कैरोलिन घर के अंदर प्रवेश करती थी तो किसी भी काम से पहले शिमला और सुला उसके साथ खेलते थे। दोनों के प्यार को देखकर कैरोलिन अक्सर कहती थी कि मेरी थकान की सबसे बड़ी दवा है दोनों।