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    चंडीगढ़ की स्टार्टअप नीति पर सवाल, सात साल देरी और 633 का ही पंजीकरण, संसद में सांसद ने उठाया मुद्दा

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Tue, 16 Dec 2025 03:06 PM (IST)

    चंडीगढ़ की स्टार्टअप नीति के क्रियान्वयन में सात साल की देरी और केवल 633 स्टार्टअप्स के पंजीकरण का मुद्दा संसद में उठाया गया। सांसद मनीष तिवारी ने इस ...और पढ़ें

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    सांसद मनीष तिवारी ने संसद में उठाया मुद्दा।

    राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। स्मार्टसिटी की स्टार्टअप नीति में सात साल देरी और 633 स्टार्टअप्स का ही पंजीकरण होने का मुद्दा संसद में उठा। लोकसभा में चंडीगढ़ स्टार्टअप नीति 2025 के क्रियान्वयन को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2018 में मसौदा तैयार होने के बावजूद अप्रैल 2025 में जाकर ही नीति को औपचारिक रूप से अधिसूचित किया।

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    उत्तर में यह भी स्पष्ट किया गया कि नीति लागू होने के छह महीने बाद तक भी कोई वित्तीय प्रोत्साहन जारी नहीं किया गया है। लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने इस स्थिति पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि चंडीगढ़ जैसे शैक्षणिक और संस्थागत केंद्र, जहां चौथी औद्योगिक क्रांति से जुड़ा एक सशक्त इकोसिस्टम मौजूद है, वहां अब तक केवल 633 स्टार्टअप्स का पंजीकरण होना और एक भी यूनिकॉर्न का न बन पाना गंभीर चिंता का विषय है।

    सरकार के लिखित उत्तर में बताया गया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने पहले राष्ट्रीय स्टार्टअप इंडिया पहल पर ध्यान केंद्रित किया और बाद में अलग यूटी नीति लाने की प्रक्रिया शुरू की। अंतर-विभागीय परामर्श, वित्तीय संरचना और हितधारकों से विमर्श के कारण नीति को अंतिम रूप देने में समय लगा। हालांकि, नीति के तहत प्रस्तावित ₹10 करोड़ के वार्षिक कोष के बावजूद अब तक कोई प्रत्यक्ष लाभ स्टार्टअप्स को नहीं दिया गया है।

    उत्तर के अनुसार, नीति के क्रियान्वयन के लिए दिशानिर्देश, ई-पोर्टल, समितियों का गठन और ऑडिट योग्य प्रणाली अभी अंतिम चरण में है। इसके चलते स्टार्टअप्स को मिलने वाले वित्तीय व गैर-वित्तीय प्रोत्साहन अभी शुरू नहीं हो पाए हैं।

    मनीष तिवारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने संसाधनों, विश्वविद्यालयों, मेडिकल, आईटी और रिसर्च संस्थानों की मौजूदगी के बावजूद चंडीगढ़ स्टार्टअप के क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाया। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन को स्पष्ट समय-सीमा के साथ स्थिति रिपोर्ट जारी करने और नीति के पारदर्शी एवं समयबद्ध क्रियान्वयन के निर्देश दे, ताकि युवा उद्यमियों को वास्तविक लाभ मिल सके।