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    चंडीगढ़ की शूटर अंजुम बोलीं- टोक्यो ओलिंपिक में काफी कुछ सीखा, पेरिस के लिए तैयारी अच्छी

    By DeepikaEdited By:
    Updated: Mon, 12 Sep 2022 11:24 AM (IST)

    अंजुम ने कहा कि मेरा फोकस सिर्फ तैयारी था। मैंने काभी सोचा नहीं था कि वर्ल्ड रैंकिंग में पहला स्थान हासिल करूंगी। पहला स्थान हासिल करने के बाद मैंने खुद में ज्यादा आत्मविश्वास पाया। हालांकि इसके साथ दिक्कत भी है।

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    चंडीगढ़ की शूटर अंजुम को कार्यक्रम में सम्मानित सम्मानित किया गया। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में वर्ल्ड की नंबर रैंकिंग हासिल करने वाली शहर की शूटर अंजुम मोदगिल को एक कार्यक्रम में सम्मानित सम्मानित किया गया। इस दौरान बातचीत में अंजुम ने कहा कि टोक्यो ओलिंपिक में उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला।

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    कोविड-19 होने के चलते काफी यात्रा करनी पड़ी। इस दौरान प्रैक्टिस भी प्रभावित हुई। कोविड-19 के कारण टोक्यो ओलिंपिक 5 साल बाद हुआ, लेकिन पेरिस 3 साल बाद आयोजित हो रहा है। इसलिए तैयारी भी अच्छी है। मेरी यही कोशिश होगी कि पहले ओलिंपिक कोटा हासिल कर लूं। उसके बाद अपने टारगेट में जितना सुधार हो सके उतना सुधार करूं।

    अंजुम का अगला टारगेट

    अंजुम ने बताया कि वह पेरिस ओलिंपिक 2024 में कोटा हासिल करने की तैयारियों में जुट गई हैं। उन्होंने कहा कि रूस में 12 से 25 अक्तूबर तक शुरू होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहले दो स्थान प्राप्त करने वाले शूटर को ओलिंपिक में कोटा मिलता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए तैयारी चल रही है।

    गेम्स पर फोकस करना है

    वर्ष 2018 वर्ल्ड चैंपियनशिप में रिकार्ड के साथ गोल्ड मेडल जीतने के बाद भी मेरे खेल में काफी सुधार आया था। ऐसे में अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन करके कोटा प्राप्त करना मेरी पहली प्राथमिकता होगी। इसके साथ ही 2023 में भी वर्ल्ड चैंपियनशिप होनी है। ऐसे में मेरे पास मौके अधिक हैं। मुझे सिर्फ अपने गेम्स पर फोकस करना है।

    वर्ल्ड नंबर-1 बनकर बढ़ा आत्मविश्वास

    अंजुम ने कहा कि मेरा फोकस सिर्फ तैयारी था। मैंने काभी सोचा नहीं था कि वर्ल्ड रैंकिंग में पहला स्थान हासिल करूंगी। लेकिन पहला स्थान हासिल करने के बाद मैंने खुद में ज्यादा आत्मविश्वास पाया। हालांकि इसके साथ दिक्कत भी है। लोग बार-बार याद दिला देते हैं कि आप वर्ल्ड नंबर एक हो। यह मेरे लिए प्रेरणादायक है। एक एथलीट होने के नाते मुझे इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जूनियर्स आपको अपना आर्दश मानना शुरू कर देते हैं। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

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