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    चंडीगढ़ में फासवेक ने कहा, राजनीति दलों ने मेयर पद हासिल करने के लिए नैतिक मूल्यों को ताक पर रखा

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Mon, 10 Jan 2022 02:31 PM (IST)

    फासवेक के तहत चंडीगढ़ शहर की 70 से ज्यादा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन आती हैं। मुख्य प्रवक्ता पकंज गुप्ता ने कहा है कि जिस प्रकार सभी राजनैतिक दलों ने नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर मेयर पद हासिल करने के लिए ओछे हथकंडे अपनाए यह अत्यंत चिंताजनक विषय है।

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    चंडीगढ़ मेयर चुनाव में राजनीतिक दलों के व्यवहार पर फासवेक ने सवाल उठाए हैं। सांकेतिक चित्र।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मेयर चुनाव पर फासवेक ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। फासवेक ने कहा है कि जिस प्रकार जोड़-तोड़ करके चंडीगढ़ का मेयर बनाया गया, उससे चंडीगढ़वासियों में भारी रोष है। मालूम हो कि फासवेक के तहत शहर की 70 से ज्यादा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन आती हैं। फासवेक ने कहा कि जल्द ही एसोसिएशनों की इस मुद्दे पर बैठक भी की जाएगी। फासवेक ने पहले ही कह दिया था कि जो मेयर चुनाव में खरीद-फरोख्त करेगा या दल बदलेगा उसका बहिष्कार किया जाएगा।

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    फासवेक के मुख्य प्रवक्ता पकंज गुप्ता ने कहा है कि जिस प्रकार सभी राजनैतिक दलों ने नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर मेयर पद हासिल करने के लिए ओछे हथकंडे अपनाए, यह अत्यंत चिंताजनक विषय है। राजनैतिक दलों का दूसरे दल के पार्षदों को पद या धन के लालच में अपने दल में मिलाने का प्रयास करना, कांग्रेस का मेयर चुनाव में सम्मिलित न होना, आम आदमी पार्टी के एक पार्षद की ओर वरिष्ठ उप-महापौर के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करना आदि ने राजनीति को शर्मसार किया है। भाजपा के पार्षदों ने आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम गर्ग से जिस प्रकार दुर्व्यवहार किया और हरप्रीत कौर बबला का चुनाव जीतते ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होना ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाया है।

    गुप्ता ने कहा कि साथ ही जिस प्रकार रिटर्निंग अफसर ने बैलेट पेपर थोड़ा फटा हुआ होने का बहाना बनाकर आम आदमी पार्टी का एक वोट निरस्त किया, वह नौकरशाही पर राजनीतिक प्रभाव की कलई खोलता है। गुप्ता ने कहा कि अल्पसंख्यक पार्टी के पार्षद का मेयर बन जाना कहां तक न्यायसंगत है। नगर निगम के चुनावों में दल-बदल कानून का लागू न होना कहां तक जायज है। ये भी न्यायिक व्यवस्था के लिए बड़े प्रश्न हैं। लोगों का विश्वास लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बना रहे और ओछी राजनीति चंडीगढ़ के विकास पर हावी ना हो, इसलिए नगर निगम के चुनावों को लेकर कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। जिस प्रकार जोड़-तोड़ करके चंडीगढ़ का मेयर बनाया गया उससे चंडीगढ़वासियों में भारी रोष है।