जल्दी भरिये प्रॉपर्टी टैक्स, नहीं तो कट जाएगा पानी का कनेक्शन, चंडीगढ़ में डिफाॅल्टरों पर कसा शिकंजा, सरकारी संस्थान बड़े देनदार
चंडीगढ़ नगर निगम ने प्रॉपर्टी टैक्स डिफाॅल्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए पानी के कनेक्शन काटना शुरू कर दिया है। दस से अधिक रेजिडेंशियल संपत्तिय ...और पढ़ें

प्रॉपर्टी टैक्स न भरने वालों के पानी के कनेक्शन कटने शुरू।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। प्राॅपर्टी टैक्स जमा नहीं कराने वाले संपत्ति मालिकों पर सख्त कार्रवाई करते निगम ने पानी के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए हैं। ऐसी दस से अधिक रेजिडेंशियल प्राॅपर्टी के मामलों में पानी के कनेक्शन काटे भी जा चुके हैं। अब भी सरकारी संस्थान ही सबसे बड़े टैक्स देनदार हैं।
साथ ही दो हजार से अधिक प्रापर्टी टैक्स डिफाल्टरों की सूची बनाकर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के पब्लिक हेल्थ विंग को कनेक्शन काटने के लिए भेजी जा चुकी है। प्राॅपर्टी टैक्स के खिलाफ पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की जा रही है।
सभी रेजिडेंशियल कैटेगरी की प्राॅपर्टी में पानी के कनेक्शन होते हैं इसलिए पहले कार्रवाई कनेक्शना काटने की हो रही है। साथ ही संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाई जा रही है।
जिन कामर्शियल प्राॅपर्टी में पानी के कनेक्शन नहीं हैं उनसे जुड़े मामलों में डिफाॅल्टरों को प्राॅपर्टी अटैच करने के नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके बाद भी जमा नहीं कराने पर संपत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
84 करोड़ जुटाए, 100 करोड़ लक्ष्य
चंडीगढ़ में 1.42 लाख प्राॅपर्टी टैक्सदाता हैं। इनमें 1.12 लाख रेजिडेंशियल और 30 हजार कामर्शियल शामिल हैं। निगम के टैक्स डिफाॅल्टरों के पास 170 करोड़ से अधिक बकाया हैं। इसमें 100 करोड़ रुपये के मामले न्यायालय में विचाराधीन या विवादित हैं। सरकारी भवनों के ऊपर भी 150 करोड़ से अधिक बकाया हैं। हालांकि उनके मामले वन टाइम सेटलमेंट स्कीम से निटपाए जा रहे हैं।
निजी संपत्ति के मामलों में कुर्क करने जैसी कार्रवाई हो रही है। निगम ने सख्ती के बाद अभी तक 84 करोड़ रुपये का टैक्स जुटा लिया है। जबकि पिछले पूरे वर्ष में 59 करोड़ रुपये ही टैक्स जमा हुआ था। अभी इस वित्त वर्ष के साढ़े तीन महीने शेष हैं। ऐसे में प्राॅपर्टी टैक्स जमा होने का आंकड़ा 100 करोड़ को पार करने की पूरी संभावना निगम अधिकारी जता रहे हैं।
एरिया की भी जमकर वसूली
पुराने और बड़े टैक्स डिफाॅल्टरों से भी एरियर वसूला जा रहा है। सबसे बड़े टैक्स डिफाॅल्टरों में से एक पीजीआई ने 11 करोड़ रुपये निगम को एरियर के रूप में जमा करा दिए हैं। रेलवे ने तीन करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट जैसे बड़े टैक्स डिफाॅल्टरों ने भी एरियर जमा कराया है।
पीयू को करीब 60 करोड़, आईटी पार्क को 45 करोड़, पीजीआई को 23, यूटी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट पर 16 करोड़ रुपये, गोल्फ क्लब पर 12 करोड़ रुपये, पंजाब इंजीनियरिंग कालेज पर 10 करोड़ रुपये बकाया हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।