चंडीगढ़ में राहतभरी सांस, जितनी तेजी से बढ़ा प्रदूषण उतनी ही तेजी से घटा, AQI 350 से अब 91 पर आया
चंडीगढ़ में प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) जो पहले 350 तक पहुंच गया था, अब घटकर 91 पर आ गया है, जिससे निवासियों को राहत मिली है। अधिकारियों का कहना है कि हवा की गति और दिशा में बदलाव के कारण प्रदूषण कम हुआ है, लेकिन वे भविष्य में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएंगे।

दीवाली के दो दिन बाद एक्यूआई का संतोषजनक स्थिति में पहुंचना अच्छे संकेत हैं।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। दीवाली के दिन पटाखे जलने से वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 तक पहुंच गया था। जितनी तेजी से यह स्तर बढ़ा था उतनी ही तेजी से कम भी हुआ है। शुक्रवार को एक्यूआई 91 दर्ज किया गया। जो संतोषजनक माना जाता है। दीवाली के दो दिन बाद एक्यूआई का संतोषजनक स्थिति में पहुंचना अच्छे संकेत हैं। इससे चंडीगढ़ वालों ने राहतभर सांस ली है।
अमूमन तापमान बढ़ने के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। इन दिनों तापमान लगातार गिर रहा है। पहाड़ों में हो रही बर्फबारी से पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ में ठंड दस्तक दे चुकी है। रातें ठंडी हो रही हैं। बावजूद इसके प्रदूषण का स्तर संतोषजनक होना अच्छी बात है। केवल चंडीगढ़ ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली जहां प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहता है। वहां भी इसमें अब गिरावत देखी जा रही है। शुक्रवार सुबह दिल्ली का प्रदूषण स्तर 286 दर्ज किया गया। हरियाणा में बहादुरगढ़ का सबसे अधिक 318 दर्ज किया गया।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार बारिश का दौर लंबा रहा। अक्टूबर के शुरुआत में भी अच्छी बारिश होने से प्रदूषण के कणों को हवा में ठहरने का लंबा समय नहीं मिला। यह बारिश नहीं होती तो प्रदूषण के पर्टिक्यूलेट मैटर-2.5 और 10 हवा में ही रहते। तापमान गिरने के साथ यह इतने बढ़ जाते कि हवा खराब हो जाती। लेकिन लगातार बारिश से यह जमींदोज हो गए। अक्टूबर के आखिर से नवंबर के शुरुआत में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की बात कही जा रही है। अगर उस दौरान भी एक बारिश हो जाती है तो हवा एकदम साफ हो जाएगी।
पाकिस्तान की हवाएं चंडीगढ़ पहुंची तो बिगड़ेंगे हालात
पाकिस्तान के पंजाब में इन दिनों खूब पराली जलाई जा रही है। एक-एक दिन में चार हजार से अधिक मामले सैटेलाइट से रिकार्ड किए जा रहे हैं। अगर हवा का रुख चंडीगढ़ की तरफ होता है तो यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है। हालांकि धान सीजन का अब कुछ समय ही बचा है इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि हो सकता है इस धुएं का असर यहां कम देखने को मिले।

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