Chandigarh Politics: पूर्व सांसद जगमीत बराड़ की शिरोमणि अकाली दल से छुट्टी
शिरोमणि अकाली दल ने अनुशासनहीनता के आरोप में शनिवार को पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़ को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए बर्खास्त कर दिया। अकाली दल की अनुशासन कमेटी ने बराड़ को पेश होकर अपना लिखित पक्ष रखने के लिए कहा था

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो : शिरोमणि अकाली दल ने अनुशासनहीनता के आरोप में शनिवार को पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़ को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए बर्खास्त कर दिया। अकाली दल की अनुशासन कमेटी ने बराड़ को पेश होकर अपना लिखित पक्ष रखने के लिए कहा था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। इसके बाद कमेटी के चेयरमैन सिकंदर सिंह मलूका की अध्यक्षता में हुई बैठक में बराड़ को पार्टी से बाहर करने का फैसला किया गया। बराड़ 2019 में कांग्रेस छोड़कर अकाली दल में शामिल हुए थे।
बराड़ को वरिष्ठ उपप्रधान पद दिया
मलूका ने बताया कि शिअद ने बराड़ को बहुत सम्मान दिया। बराड़ को वरिष्ठ उपप्रधान पद दिया। कोर कमेटी का सदस्य भी बनाया, लेकिन वह अपने स्वभाव के मुताबिक टिककर नहीं रह सके। उन्होंने कहा कि किसी के खिलाफ कार्रवाई करना बहुत मुश्किल होता है। यह काम भारी मन से करना पड़ता है, क्योंकि अनुशासनहीनता का पार्टी पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बराड़ दूसरी बार समय लेकर भी नहीं पहुंचे। अच्छा होता कि वह अपना पक्ष रखते, ताकि उन्हें सुनकर कोई फैसला लिया जाता।
बराड़ परिवार की बादल परिवार से सियासी रंजिश- मलूका
मलूका ने कहा कि बराड़ परिवार की बादल परिवार से सियासी रंजिश रही है। फिर भी उन्हें अकाली दल में शामिल किया गया। लेकिन बराड़ ने पार्टी विरोधी कार्रवाई जारी रखी। अनुशासन कमेटी के सदस्य विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा कि बराड़ ने बीबी जागीर कौर की बैठक में भी शामिल होकर एक और अनुशासनहीनता की थी। बराड़ लंबे समय तक कांग्रेस में रहे थे। कांग्रेस ने श्री दरबार साहिब पर हमला करवाया और दिल्ली में दंगे करवाए। अकाली दल के खिलाफ कोई भी बात आएगी तो वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। बता दें कि फरीदकोट संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद रहे जगमीत बराड़ ने मंगलवार को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से भी मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने अकाली दल की कार्यप्रणाली व लीडरशिप की गतिविधियों व अकाली दल के भविष्य के मुद्दों पर लंबी चर्चा की। इसके बाद अकाली दल के पदों से त्यागपत्र दे दिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान 20 अप्रैल, 2019 को जगमीत बराड़ कांग्रेस छोड़कर अकाली दल में शामिल हुए थे।
अकाली दल का संगठनात्मक ढांचा गैर संवैधानिक
बराड़ उधर जगमीत बराड़ ने कहा कि अनुशासन कमेटी का फैसला निंदनीय है। उन्हें ऐसे फैसले की उम्मीद नहीं थी। वह आज कहीं बाहर थे, जिस कारण कमेटी के सामने पेश नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि अकाली दल का संगठनात्मक ढांचा गैर संवैधानिक है। इसका नुकसान अकाली दल को भविष्य में भुगतना होगा। उन्होंने लिखित स्पष्टीकरण अनुशासन कमेटी को भेज दिया था और इसकी एक प्रति अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को भी भेजी है।
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