चंडीगढ़ पीजीआई के प्रो. रविंद्र खैवाल को मिला बड़ा मंच, पराली और कचरा प्रबंधन के ठोस उपाय बताएंगे
प्रोफेसर रविंद्र खैवाल को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पराली ठोस कचरा और बायोमास ज्ञान मंच का संयोजक नियुक्त किया है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर उनके शोधों ने नीतियों को दिशा दी है। अब वे विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर कचरा प्रबंधन के टिकाऊ समाधान तैयार करेंगे। उनका लक्ष्य है कि सामूहिक प्रयास से वायु को स्वच्छ बनाया जाए।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल प्रदूषण की रोकथाम के लिए नए आइडिया देंगे। वे पराली और कचरा प्रबंधन के ठोस उपाय बताएंगे। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) नई दिल्ली ने खैवाल को स्टबल (पराली), नगर ठोस कचरा और बायोमास से जुड़े ज्ञान मंच का संयोजक नियुक्त किया है। यह मंच आयोग की शुद्ध वायु संपर्क (सु-वस) पहल के अंतर्गत बनाया गया है।
प्रो. खैवाल लंबे समय से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण पर शोध कर रहे हैं। उनके अध्ययनों से यह समझने में मदद मिली है कि किस तरह पराली जलाने से सर्दियों में धुंध और प्रदूषण बढ़ता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। प्रो. खैवाल के अब तक दो सौ से ज्यादा शोध प्रकाशित हो चुके हैं और उनके काम को देश-विदेश में सराहा गया है।
उनके शोध ने वायु प्रदूषण से जुड़ी नीतियों को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है। अब संयोजक के रूप में वे देश के कई प्रमुख संस्थानों के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर पराली, बायोमास और कचरा प्रबंधन के व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान तैयार करेंगे। इस मंच में आईआईटी दिल्ली, सीएसआईआर-नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी, सी-डैक पुणे, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पंजाब रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम्स और कन्फेडरेशन आफ बायोमास एनर्जी इंडस्ट्री ऑफ इंडिया जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
इस मौके पर डाॅ. खैवाल ने कहा कि वे इस जिम्मेदारी को सम्मान के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने और बायोमास प्रबंधन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक सोच, नवाचार और समाज की भागीदारी जरूरी है। सु-वस मंच के माध्यम से हम ऐसे हल तैयार करेंगे जो वायु को स्वच्छ बनाएं, लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करें और सतत विकास को बढ़ावा दें।
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