केंद्र ने पंजाब बाढ़ को माना 'अति गंभीर आपदा', किसानों को मुआवजे के साथ-साथ राज्य को मिलेगा इतना कर्ज
पंजाब में बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे अति गंभीर आपदा घोषित किया है। इससे राहत कार्यों में केंद्र की भागीदारी बढ़ेगी और राज्य को पुनर्निर्माण के लिए 590 करोड़ का ऋण मिलेगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राहत कार्यों की योजनाओं पर चर्चा के लिए एक विशेष बैठक बुलाई है।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब में बाढ़ की विभीषिका ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। केंद्र सरकार ने हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य में आई बाढ़ को को ‘अति गंभीर आपदा’ घोषित कर दिया है।
इस निर्णय के बाद अब राहत और पुनर्वास कार्यों में केंद्र की भागीदारी जहां बढ़ जाएगी वहीं राज्य में खराब हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर का पुनर्निमाण करने के लिए राज्य को 590 करोड़ का दीर्घ अवधि वाला कर्ज भी मिल सकेगा। ऐसा होने पर राज्य सरकार ने अपने राहत व पुनर्वास के कामों योजनाओं को नए सिरे से तय करने के लिए एक विशेष बैठक शुक्रवार को बुला ली है जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री भगवंत मान करेंगे।
केंद्र सरकार की ओर से पंजाब की बाढ़ को अति गंभीर आपदा मानने के बाद अब पंजाब सरकार स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड के पैसे को लोगों के पुर्ननिर्माण पर खर्च करने के लिए तय नियमों से ज्यादा पैसा खर्च पाएगी जबकि अगर इसे साधारण बाढ़ ही घोषित किया जाता है तो राहत और पुनर्वास के कामों पर खर्च करने के लिए सख्त नियमों के कारण ज्यादा राशि खर्च नहीं कर पाती।
हालांकि गंभीर आपदा घोषित करने के बावजूद किसानों की उनकी फसल के नुकसान की भरपाई के लिए उतनी ही राशि मिल पाएगी जितनी एसडीआरएफ के नियमों में उपबंध है। एसडीआरएफ में किसानों को 6800 रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा देने का प्राविधान है लेकिन राज्य सरकार ने अपनी आर से इसे बढ़ाकर इस बार 20 हजार रुपए प्रति एकड़ देने की घोषणा कर दी है। साथ ही किसानों की खराब हुई फसल के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश भी दे दिए हैं।
एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि बाढ़ के चलते मकान गिरने पर मात्र 1.20 लाख रुपए का मुआवजा देने का ही प्राविधान है लेकिन अगर केंद्र सरकार इसे गंभीर आपदा घोषित कर देती है तो इसमें से ज्यादा पैसा भी दिया जा सकता है।
अन्य जगहों पर भी अतिरिक्त राशि खर्च करने की इसमें छूट होगी जिसका विवरण कल सीएम की बैठक में पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार सभी महकमों की ओर से खर्च करने वाली राशि को बढ़ा देती है। इसमें राज्य सरकार को भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी पड़ेगी।
पंजाब में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ को अति गंभीर आपदा घोषित करने के लिए पंंजाब सरकार ने केंद्र को लिखा था जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया था । इसलिए केंद्र सरकार को इसे अति गंभीर आपदा घोषित करने में कोई दिक्कत नहीं आई।
केंद्र सरकार के पंजाब की बाढ़ को अति गंभीर घोषित करने से सरकार को स्पेशल असिस्टेंस को टूस्टे फार कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम (सासकी ) के तहत 590 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज मिल सकता है जिसे वे बाढ़ के कारण खराब हुई सड़कों, स्कूल, डिस्पेंसरी की इमारतों, पेयजल योजनाओं के पुनर्निर्माण पर खर्च कर सकेगी। यह कर्ज पंजाब को मिलने वाली कर्ज सीमा से बाहर होगा और इसे आसान किश्तों में 50 सालों में अदा करना होगा।
इसके अलावा किसानों को उनकी ओर से लिए गए कर्ज में राहत प्रदान करने के लिए भी सरकार स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के साथ बैठक कर रही है ताकि किसानाें को इस छिमाही की किश्त अदा न करनी पड़े।
केंद्र सरकार के किसी भी राज्य में आई आपदा को अति गंभीर घोषित करने के बाद इसका प्राविधान है कि बैंक किसानों की एक छिमाही की किश्त को डैफर कर दें। हालांकि उन्हें इस अवधि का बयाज देना पड़ेगा लेकिन किश्त अदा न करने के चलते लगने वाला चक्रवर्ती ब्याज और पेनल्टी नहीं लगेगी।
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