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    पंजाब में पहली बार चंडीगढ़ से बाहर चलेगा विधानसभा सत्र, पर… श्री आनंदपुर साहिब ही क्यों? ये है बड़ी वजह

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 06:47 AM (IST)

    पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र पहली बार चंडीगढ़ से बाहर श्री आनंदपुर साहिब में 24 नवंबर को होगा। शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने संतों के साथ बैठक के बाद यह प्रस्ताव रखा। दशमेश अकादमी और विरासत-ए-खालसा संभावित स्थल हैं। यह आयोजन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं कश्मीरी पंडितों ने गुरु तेग बहादुर जी से औरंगजेब से सुरक्षा की प्रार्थना की थी।

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    पंजाब में पहली बार विधानसभा सत्र 24 नवंबर को श्री आनंदपुर साहिब में होगा

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में पहली बार विधानसभा का विशेष सत्र चंडीगढ़ के बाहर 24 नवंबर को श्री आनंदपुर साहिब में करवाया जाएगा। यह एक दिवसीय सत्र श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें बलिदान दिवस को समर्पित कार्यक्रमों का हिस्सा होगा।

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    खास बात यह है कि इससे पहले श्री गुरु नानक देव जी के 550वे प्रकाशपर्व को समर्पित विशेष सत्र वर्ष 2019 में तत्कालीन कैप्टन सरकार की ओर से भी आयोजित किया गया था लेकिन यह सत्र विधानसभा में ही आयोजित किया गया था।

    संतों के साथ हुई लंबी बैठक

    शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस और राज्य पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों के विभाग के सलाहकार दीपक बाली ने इस संबंधी शुक्रवार को चंडीगढ़ में विभिन्न संतों के साथ एक लंबी बैठक करने के बाद यह प्रस्ताव रखा। इसके अलावा अन्य समारोहों को लेकर भी संतों के साथ लंबी चर्चा हुई।

    बैठक के बाद हरजोत बैंस ने कहा कि हम 24 नवंबर को आनंदपुर साहिब में विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिए विधानसभा सचिवालय के साथ बातचीत कर रहे हैं।

    उधर, विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार श्री आनंदपुर साहिब में विधानसभा के विशेष सत्र के लिए अभी तक जिन स्थानों का चयन किया गया है उनमें दशमेश अकादमी और विरासत-ए-खालसा के आडिटोरियम शामिल हैं।  इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी चर्चा की जा रही है।

    श्री आनंदपुर साहिब का चयन क्यों?

    विधानसभा का विशेष सत्र में श्री आनंदपुर साहिब में इसलिए मनाया जा रहा है क्योंकि इसी जगह पर लगे श्री गुरु तेग बहादुर जी के दरबार में कश्मीरी पंडितों ने औरंगजेब से सुरक्षा की गुहार लगाई थी, जो उन्हें हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कुबूलने के लिए मजबूर कर रहा था। गुरु साहिब ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वे औरंगजेब से कह दें कि अगर उनके गुरु ने इस्लाम कुबूल कर लिया तो वे सभी कर लेंगे। गुरु साहिब यहीं से बलिदान देने के लिए दिल्ली गए थे।