चंडीगढ़ को हेरिटेज सिटी घोषित करने का दावा खोखला, विकास में बाधा; मॉल-सिनेमा हॉल में सालों से लगे हैं ताले
चंडीगढ़ को हेरिटेज सिटी घोषित करने के दावे पर केंद्र सरकार ने पानी फेर दिया है। शहर में केवल कैपिटल कॉम्प्लेक्स को ही हेरिटेज का दर्जा प्राप्त है। इस कारण शहर के विकास में बाधा आ रही है। कई प्रोजेक्ट हेरिटेज कमेटी की मंजूरी न मिलने के कारण रुके हुए हैं। शेयर वाइज प्रॉपर्टी का पंजीकरण भी बंद है जिससे प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ गई हैं।

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। संसद में चंडीगढ़ के हेरिटेज सिटी न होने का मामला उठने से शहर में भी मामला गरमा गया है। यूटी प्रशासन ने शहर की ही नहीं, बल्कि निजी इमारतों को भी हेरिटेज घोषित किया हुआ है। हेरिटज के नियम का हवाला देते सरकारी हुए शहर के कई बड़े मॉल और सिनेमा हॉल में ताले लगे हुए हैं।
जबकि केंद्र सरकार ने प्रशासन के चंडीगढ़ को हेरिटेज सिटी घोषित करने के दावे की हवा निकाल दी है। लोगों का कहना है कि हेरिजट के नाम पर प्रशासन ने शहर का विकास रोक दिया है। जिस कारण 600 करोड़ रुपये के सौदे रुके हुए हैं।
संसद में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सांसद मनीष तिवारी की ओर से पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि चंडीगढ़ हेरिटेज सिटी नहीं है, यहां सिर्फ एक ऐसा स्थल कैपिटल कांप्लेक्स को हेरिटेज का दर्जा प्राप्त है।
सेक्टर-37 का बत्रा थियेटर भी बंद
इसके साथ ही अब स्पष्ट हो गया है कि शहर में अन्य कोई इमारत और स्थल हेरिटेज नहीं है। ऐसे में लोग प्रशासन की कारगुजारी पर सवाल उठा रहे हैं। इस समय शहर में पिछले डेढ़ साल से शेयर वाइज प्रॉपर्टी का पंजीकरण भी रुका हुआ है। प्रशासन की ओर से सेक्टर-22 के किरण सिनेमा को भी हेरिटेज घोषित किया हुआ है।
केसी थियेटर की इमारत कई साल पहले गिराई गई थी, लेकिन हेरिटेज नियम के कारण फिर से इसका निर्माण नहीं शुरू हो सका। इसके साथ ही सेक्टर-37 का बत्रा थियेटर भी बंद पड़ा है, क्योंकि प्रशासन की ओर से हेरिटेज का हवाला देते हुए उन्हें बदलाव करने की मंजूरी नहीं दी जाती है।
शहर में इस समय कई प्रोजेक्ट हेरिटेज कमेटी की मंजूरी न मिलने के कारण रुके हुए हैं। सुखना लेक के पास लोगों की सुविधा के लिए नई पार्किंग बनाने का प्रस्ताव बनाया गया था, लेकिन हेरिटेज के कारण इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी गई।
मालूम हो कि किरण सिनेमा को पिछले साल बाहरी स्वरूप को छेड़े बिना अंदर बदलाव करने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन उसके बाद तत्कालीन प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी थी।
प्रशासन हेरिटज को अपने हिसाब से मोड़ लेता है
हेरिटेज नियम को प्रशासन अपने हिसाब से मोड़ लेता है। शहर के कई चौराहें इस समय हटा दिए गए हैं कई चौराहों को छोटा किया गया। कई पर ट्रैफिक लाइट लगा दी गई। मटका चौक पर लोहे की तारे लगा दी गई, जबकि हेरिटेज के हिसाब से ऐसा नहीं हो सकता।
हेरिटेज सिटी में पूरे शहर के बाजारों की इमारतों का रंग एक जैसा होना चाहिए, लेकिन इस समय ऐसा नहीं है। प्रशासन ने शहर की कई सड़कों को अपने हिसाब से चौड़ा किया है। कई साल पहले शहर में कोला डिपू थे, लेकिन उन्हें कमर्शियल साइट में बदलने की मंजूरी प्रशासन ने ही दी।
600 करोड़ रुपये के रुके हुए हैं सौदे
शेयर वाइज प्रॉपर्टी का पंजीकरण बंद होने का असर कीमतों पर पड़ रहा है। पिछले पौने साल में सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की प्रापर्टी की कीमतों में भारी उछाल आया है। रिहायशी इलकों में प्रॉपर्टी की कीमतें दो से तीन गुना बढ़ गई है। जिस कारण अब चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी खरीदना आम के हाथ से बाहर हो गया है।
इसके साथ ही न्यू चंडीगढ़ में भी प्रॉपर्टी का निवेश बढ़ा है। दिल्ली और मुबंई के लोग ट्राई सिटी में प्रॉपर्टी पर निवेश कर रहे हैं। जबकि शेयर वाइज प्रापर्टी पर पाबंदी लगने से 600 करोड़ रुपये के सौदे रुके हुए हैं, जो कि इस रोक के हटने का इंतजार कर रहे हैं।
हेरिटेज सेक्टर-1 से 30 तक के रिहायशी इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमतें दक्षिणी सेक्टरों के मुकाबले में ज्यादा बढ़ गए हैं। आलीशान कोठियों के रेट बहुत बढ़ गए हैं।
असल में हेरिटज के नियम प्रशासन के अधिकारी अपने हिसाब से बदल लेते हैं। शहरवासियों से जुड़े काम हेरिटेज सिटी का हवाला देते हुए रोक लिए जाते हैं। जबकि प्रशासन अपने काम करते रहते हैं। इससे शहर पिछड़ता जा रहा है। असल में हेरिटेज के नाम पर प्रशासन मिस यूज कर रहे हैं और शहर का विकास रूका हुआ है।100 साल पुरानी चींज को हेरिटेज घोषित किया जाता है जबकि चंडीगढ़ को बने हुए ही 100 साल नहीं हुए हैं।
- आरके गर्ग, अध्यक्ष, सेकेंड इनिंग एसोसिएशन
कितनी हैरानी की बात है कि लोग अपने इमारतों को अपने हिसाब से नहीं बनवा सकते हैं। जबकि प्रशासन अपनी इमारतों को अपने हिसाब से बना रहा है। हेरिटेज के नाम पर लोगों के इमारत का निर्माण रोका जा रहा है। इस समय शहर के अधिकतर सिनेमा हॉल बंद पड़े हैं। जबकि उनकी जगह बड़े सुंदर मॉल बन सकते हैं और लोगों को नए टूरिस्ट प्लेस मिल सकते हैं, लेकिन इनके बंद होने का फायदा पंचकूला और मोहाली को मिल रहा है।
- बलजिंदर सिंह बिट्टू्, अध्यक्ष, फासवेक
यह भी पढ़ें- जंगलों में सांप-बिच्छू तो बॉर्डर पर सेना, अमेरिका जाना मौत से टक्कर; डिपोर्ट हुए लोगों की कहानी रोंगटे खड़े कर देगी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।