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    'GST मुआवजा और SDRF फंड को लेकर सदन को गुमराह किया', BJP नेता सुभाष शर्मा का वित्तमंत्री चीमा पर जुबानी वार

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 04:10 PM (IST)

    भाजपा नेता डा. सुभाष शर्मा ने वित्तमंत्री हरपाल चीमा पर विधानसभा में झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चीमा ने जीएसटी मुआवजा और एसडीआरएफ फंड को लेकर सदन को गुमराह किया। पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने भी चीमा के दावों का खंडन किया। शर्मा ने स्पीकर से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की और आप सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

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    जीएसटी मुआवजे और एसडीआरएफ को लेकर निशाने पर आए वित्तमंत्री हरपाल चीमा (फाइल फोटो)

    कैलाश नाथ, चंडीगढ़। वित्तमंत्री हरपाल चीमा पर भाजपा ने विधान सभा में झूठ बोलने का आरोप लगाया है। भाजपा नेता डा. सुभाष शर्मा ने कहा हैं ‘वित्तमंत्री ने फ्लोर आफ दी हाउस झूठ बोला है। स्पीकर कुलतार संधवां को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि विधान सभा राजनीतिक जमीन नहीं बल्कि वह जगह हैं जहां पर आप झूठ नहीं बोल सकते।’

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    भाजपा नेता ने कहा कि वित्तमंत्री ने सदन में कहा कि केंद्र सरकार ने जीएसटी प्रणाली शुरू होने के 5 साल बाद मुआवजे के तौर पर राज्य को मिलने वाले 14,000 करोड़ को बंद कर दिया। हकीकत में यह योजना पांच साल के लिए ही थी। वहीं, पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने भी इस बात की पुष्टि की है।

    कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान मनप्रीत बादल ही थे जिन्होंने ‘एक देश एक टैक्स’ नीति के तहत जीएसटी प्रणाली पर हस्ताक्षर किए थे। पूर्व वित्तमंत्री ने कहा, यह योजना पांच साल के लिए शुरू की गई थी ताकि राज्य सरकारें अपने टैक्सों के ढांचे को मजबूत कर सकें। यह हमेशा चलने वाला फैसला नहीं था। उन्होंने कहा, वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने एक नहीं तीन बिंदुओं पर सदन को गुमराह किया।

    वित्तमंत्री ने सदन में कहा कि आपदा प्रबंधन से आने वाले फंड का अगर प्रयोग नहीं किया जाता तो राज्य सरकार को उस पर ब्याज देना पड़ता है। जोकि गलत हैं। जो पैसा बैंक में आ गया उस पर राज्य सरकार कैसे ब्याज दे सकती है।

    बता दें कि शुक्रवार को विधान सभा के विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर बहस के दौरान वित्तमंत्री ने एसडीआरएफ में पड़े 12,000 करोड़ रुपये को लेकर स्पष्टीकरण दिया था कि केंद्र सरकार आपदा प्रबंधन के लिए जो फंड देती है, उसका अगर प्रयोग नहीं होता तो उस पर ब्याज देना पड़ता है। यही नहीं उन्होंने कहा कि केंद्र कर्ज लेने की सीमा से भी फंड में पड़े को काट लेती है।

    जिस पर सर्वाधिक 8.15 फीसदी ब्याज देना होता है। यही नहीं चीमा ने कहा था कि जब जीएसटी प्रणाली शुरू की गई थी तब केंद्र सरकार ने राज्यों की वित्तीय स्थिति के स्थिर होने तक हर्जाना नीति शुरू की थी। जिसे पांच साल बाद केंद्र सरकार ने बंद कर दिया। बता दें कि इस हर्जाना के तहत पंजाब को 14,000 करोड़ रुपये मिलते थे।

    मनप्रीत बादल ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से हर्जाना योजना केवल पांच साल के लिए शुरू की गई थी। इसलिए चीमा का यह कहना कि केंद्र सरकार ने योजना बंद कर दी सरासर गलत है। वहीं, ऐसा भी नहीं हैं कि एसडीआरएफ का प्रयोग नहीं किया गया तो राज्य को उसके ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।

    उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकाल में कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी भी आई थी और नही एसडीआरएफ में पैसे होने पर केंद्र बोरोइंग लिमिट को कम कर देता है। वहीं, सुभाष शर्मा ने कहा ‘आम आदमी पार्टी का इतिहास ही झूठ पर है। केजरीवाल से लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान सभी ने अपनी नींव झूठ पर ही रखी है।

    लेकिन अब वित्तमंत्री हाउस में ही झूठ बोलने लगे हैं। स्पीकर के हाथों में सदन की गरिमा बनाए रखने का अधिकार होता है। स्पीकर को वित्तमंत्री के झूठ पर संज्ञान लेना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।’