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    चंडीगढ़ नगर निगम को करोड़ों की चपत, डंपिंग ग्राउंड प्रोजेक्ट में लगे धांधली के आरोप; टेंडर के नाम पर हो रहा खेल

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 10:04 AM (IST)

    चंडीगढ़ नगर निगम के अफसरों पर टेंडरों में धांधली करने के आरोप लगे हैं। डंपिंग ग्राउंड के टेंडर में नियमों का उल्लंघन करते हुए एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) को ठेका दिया गया जिसने आगे प्राइवेट कंपनियों को काम दे दिया। आरोप है कि बायो माइनिंग का काम दोगुनी कीमत पर दिया गया और पार्षदों को अंधेरे में रखा गया।

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    डंपिंग ग्राउंड प्रोजेक्ट में लगे धांधली के आरोप; टेंडर के नाम पर हो रहा खेल (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम के अफसर निगम का दिवाला निकलने में लगे है। निगम के टेंडरों में जमकर खेल हो रहा है। निगम अफसरों ने डंपिंग ग्राउंड के टेंडर में भी खेल कर दिया। करोड़ों की लागत का यह टेंडर पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को अलॉट किया गया। इन दोनो टेंडर में निगम को करोड़ों की चपत लगी है।

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    नियमों के अनुसार कोई भी काम सिंगल टेंडर पर अलॉट नहीं किया जा सकता। डंपिंग ग्राउंड में कचरा उठाने का टेंडर निगम अफसरों ने बिना किसी ओपन प्रक्रिया के पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को अलॉट कर दिया।

    पीएसयू ने आगे ठेका दे दिया

    निगम में पीएसयू के नाम पर खेल किस कदर चल रहा है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि पीएसयू ने उसे निगम से मिला काम आगे ठेके पर प्राइवेट कंपनियों को दे दिया। इस पीएसयू ने कभी भी माइनिंग का काम ही नहीं किया है।

    यदि पीएसयू ने आगे काम प्राइवेट कंपनियों को ठेके पर देना था तो यह काम निगम भी सीधे कर सकता था। लेकिन निगम के अफसरों ने अपने चहेतों को काम दिलवाने के लिए पीएसयू का सहारा लिया।

    लगभग डेढ़ लाख टन कचरे की बायो माइनिंग का काम पहले से चल रहे काम की तुलना में दोगुनी कीमत पर कंपनियों को दिया गया।

    एनजीटी का बहाना

    निगम के अफसरों ने एनजीटी का बहाना बनाकर पूरी प्रक्रिया ही उलटकर रख दी। निगम के अफसरों ने पार्षदों ओर सीनियर अफसरों को एनजीटी का डर दिखाकर दोनों टेंडर पीएसयू को अलॉट कर दिए। जबकि समय गुजर जाने के बाद भी यह काम नहीं हुए है।

    पार्षदों को अंधेरे में रखा

    निगम अफसरों ने इस सारी प्रक्रिया में निगम अफसरों को भी अंधेरे में रखा। पार्षदों को यह बताया गया कि पीएसयू के टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने पर सिंगल बिड पर काम अलॉट किया जा सकता है। जबकि नियम कहते है कि पीएसयू की श्रेणी में भी अन्य पीएसयू को एप्रोच किया जाना चाहिए।

    जवाब नहीं देना चाहते

    दैनिक जागरण ने जब बायो माइनिंग प्रोजेक्ट को लेकर निगम के चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा से जानकारी के लिए संपर्क किया तो उन्होंने जानकारी नहीं दी। यहां तक कि तीन दिन कई बार मैसेज करने पर भी कोई जवाब नहीं दिया। पूर्व डिप्टी मेयर सतीश कैथ के अनुसार यह एक बड़ा घोटाला है। इसकी विजिलेंस या सीबीआई से जांच होनी चाहिए।