चंडीगढ़ नगर निगम के कर्मचारियों को आवास का संकट, पार्षदों ने मांगे सरकारी बंगले
चंडीगढ़ नगर निगम के 1051 मकानों में से 577 खाली हैं जबकि कर्मचारी किराये पर रहने को मजबूर हैं। नियमित कर्मियों की तर्ज पर आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों को सरकारी मकान आवंटन की मांग उठी लेकिन हाउस अलाटमेंट पालिसी आड़े आई। पार्षदों ने भी अपने लिए सरकारी मकान मांगे हैं।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। नगर निगम के 1051 मकानों में से केवल 577 में ही कर्मचारी रह रहे हैं और बाकी खाली पड़े हैं। सदन की बैठक में नियमित कर्मियों की तर्ज पर आउटसोर्स कर्मियों को मकान आवंटित किए जाने की मांग भी उठी। इस पर निगम अधिकारी ने हाउस अलाटमेंट पालिसी का हवाला दिया कि केवल नियमित कर्मियों को ही मकान आवंटित किए जा सकते हैं। आउटसोर्स कर्मियों को मकान नहीं मिलेंगे, लेकिन पार्षदों ने भी सरकारी मकान दिए जाने की आवाज उठाई है।
नगर निगम में तीन हजार से अधिक नियमित कर्मचारी हैं और आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या भी काफी है। आउटसोर्स कर्मियों को सैलरी भी नियमित से एक तिहाई भी नहीं मिलती। ऊपर से मकानों का किराया देना पड़ रहा है। कम किराये के लिए यह चंडीगढ़ शहर से बाहर आस-पास के गांव और पेरीफेरी एरिया में रहने को मजबूर हैं।
अभी तक सिर्फ मेयर को मिलता है सरकारी मकान
सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की तरह नगर निगम पार्षदों ने भी अपने लिए सरकारी मकान की मांग रखी है। मकान दिए जाने की सिफारिश प्रशासन को भेजी जाएगी। निगम सदन में 35 निर्वाचित और नौ मनोनीत पार्षद हैं। अभी तक केवल मेयर को ही सेक्टर-24 में मेयर हाउस मिलता है। यह कैटेगरी-7 का हाउस है। हालांकि बहुत कम मेयर ऐसे हुए जो मेयर हाउस में रहे। कई ने इसे कैंप आफिस बनाया।
अब सीनियर डिप्टी मेयर-डिप्टी मेयर और बाकी पार्षदों को भी मकान देने की मांग की जा रही है। भाजपा पार्षद सौरभ जोशी ने सदन की बैठक के दौरान निगम के क्वार्टर से संबंधित प्रश्न किया था। उसका जवाब सदन पटल पर रखा गया। इस जवाब के बाद पार्षद सौरभ जोशी ने खाली मकानों में से सभी पार्षदों को मकान दिए जाने की मांग सदन के सामने रखी। इस मांग पर सभी पार्षदों ने हामी भरते हुए इसे मंजूरी दी। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मांग पर क्या निर्णय लेता है।
मेंटेनेंस की वजह से भी आ रही दिक्कत
अगस्त में 47 मकान को ई-आवास पोर्टल पर अपलोड कर बिड आमंत्रित की थी। इनमें से 15 मकान ही आवंटित हो सके। खाली मकान के लिए कर्मी बिड लगाते हैं उसके हिसाब से ही पोर्टल ये आवंटन होता है। इनमें बहुत से मकान ऐसे भी हैं जो मेंटेनेंस की वजह से बिड में लगाए ही नहीं जा रहे।
पार्षद सौरभ जोशी ने कहा कि जो मकान ठीक हैं उनमें से पार्षदों को भी मकान दिए जाएं। बड़ी बात यह है कि पार्षदों को मकान आवंटित होंगे तो इनकी रिपेयर मेंटेनेंस पर भी मोटा खर्च होगा। वित्तीय संकट के बीच यह आसान नहीं होगा। दूसरा सरकारी इंप्लाइज का मकान के बदले हाउस रेंट अलाउंस भी कटता है। पार्षदों का यह कैसे कटेगा यह भी सवाल है। निगम पार्षदों को निर्धारित मानदेय, लैपटाप, मोबाइल और प्रतिमाह रिचार्ज खर्च जैसी सुविधा भी मिलती हैं।
पालिसी में किया जाना चाहिए बदलाव
कर्मचारी सबआर्डिनेट फेडरेशन के अध्यक्ष रंजीत मिश्रा का कहना है कि आउटसोर्स कर्मियों को सैलरी नियमित से आधी भी नहीं मिलती है। उनकी आधी सैलरी किराये में ही चली जाती है। खाली पड़े मकानों को आउटसोर्स कर्मियों को दिए जाने के लिए पालिसी में बदलाव किया जाना चाहिए। कर्मचारी इन मकानों का उचित रखरखाव भी रखेंगे। अपने खर्च पर भी रिपेयर मेंटेनेंस करवा लेंगे। निगम को इन्हें यह मकान देने चाहिए।
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