चंडीगढ़ निगम में चीफ इंजीनियर विवाद! एक साल में कोई प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ा पाए संजय अरोड़ा, चहेतों को फायदा पहुंचाने के आरोप
चंडीगढ़ नगर निगम के चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा को प्रोजेक्टों में विफलता और चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने के आरोपों के चलते हटाया गया। उन पर बायो माइनिंग में अनियमितता और हॉर्टिकल्चर वेस्ट प्लांट को बंद करवाने जैसे आरोप हैं। सामाजिक संगठन उनके कार्यकाल में अलॉट हुए कार्यों की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

संजय अरोड़ा को नगर निगम के चीफ इंजीनियर के पद से हटाया गया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम के चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा को हटाने के पीछे प्रमुख कारण प्रोजेक्टों की सिरे चढ़ने में उनकी विफलता है। एक साल में निगम के एक प्रोजेक्ट की भी संजय अरोड़ा सिरे नहीं चढ़ा सके। जिन प्रोजेक्ट की अलॉटमेंट की उनमें भी चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे। हालत यह है कि निगम के कई प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही विवादों में फंस गए है।
डंपिंग ग्राउंड में बायो माइनिंग के लिए पीएसयू की आड़ में प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर को काम सबलेट करने से जहां निगम को करोड़ों की चपत लगी है वहीं अभी तक बायो माइनिंग का काम पूरा नहीं हुआ है। यह काम संजय अरोड़ा की सिफारिश पर ही बिना टेंडर के डबल रेट पर पीएसयू को दे दिया गया। पीएसयू की आड़ में प्राइवेट कंपनियों को मोटे दाम पर काम दे दिया गया। हालत तरह है कि तीन माह के लिए काम दिया गया था लेकिन सात महीने में भी काम पूरा नहीं हुआ।
संजय अरोड़ा ने हॉर्टिकल्चर वेस्ट के चलते प्लांट को बंद करवा दिया। अब यह प्रोजेक्ट विवादों में है। इस प्रोजेक्ट की भी पीएसयू के जरिए बैक डोर से चहेतों को काम देने की तैयारी थी। एक साल में संजय अरोड़ा शहर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की भी विवादों में फंसवा गए। हालत यह है कि यह प्लांट भी खस्ता हाल हो चुका है। निगम के इंजीनियरिंग विंग में नियुक्तियों को लेकर भी गड़बड़ियों के आरोप लग चुके है।
सीबीआई जांच की मांग
शहर के कुछ सामाजिक संगठन और कॉन्ट्रैक्टर अब संजय अरोड़ा के कार्यकाल में अलॉट किए गए काम की सीबीआई जांच की मांग कर रहे है। प्रशासक गुलाब चंद कटारिया तक भी यह शिकायतें पहुंच चुकी थी।

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