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    चंडीगढ़ निगम का दोहरा रैवेया, हाउस और प्रापर्टी टैक्स को लेकर आम लोगों पर कार्रवाई, सरकारी विभागों को छूट

    By Rajesh DhallEdited By: Ankesh Thakur
    Updated: Sat, 15 Oct 2022 02:09 PM (IST)

    चंडीगढ़ नगर निगम दोहरा रैवेया अपना रहा है। अगर कोई आम आदमी प्रापर्टी और हाउस टैक्स जमा नहीं करवाता है तो निगम उस पर कार्रवाई करता है। लोगों की इमारत तक नगर निगम सील करने की कार्रवाई शुरू कर देता है।

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    निगम को सरकारी इमारतों से 10.17 करोड़ रुपये का टैक्स वसूलना है।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम दोहरा रैवेया अपना रहा है। अगर कोई आम आदमी प्रापर्टी और हाउस टैक्स जमा नहीं करवाता है तो निगम उस पर कार्रवाई करता है। लोगों की इमारत तक नगर निगम सील करने की कार्रवाई शुरू कर देता है, लेकिन वहीं नगर निगम के टैक्स डिफाल्टरों की सूची में कई बड़े सरकारी कार्यालय हैं, जिनसे नगर निगम ने करोड़ों रुपये वसूल करने हैं। नगर निगम ऐसी इमारतों का टैक्स वसूल नहीं कर पा रहा है। ऐसे में अब नगर निगम की कारगुजारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकारी कार्यालय में यूटी प्रशासन के अलावा पंजाब और हरियाणा सरकार के सरकारी कार्यालय भी शामिल हैं।

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    चंडीगढ़ की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन फासवेक अध्यक्ष बलजिंदर सिंह बिट्टू का कहना है कि कार्रवाई सभी पर बराबर होनी चाहिए। नगर निगम शहरवासियों से तो टैक्स वसूल कर रहा है, लेकिन सरकारी विभागों से टैक्स वसूल करने में असफल साबित हो रहा है। इस समय नगर निगम ने 148 करोड़ रुपये डिफाल्टरों से लेने हैं। पंजाब और हरियाणा के शहर में बनी सरकारी इमारतों से 10.17 करोड़ रुपये का बकाया है। यूटी प्रशासन की सरकारी इमारतों पर 9.30 करोड़ रुपये का पेंडिंग है। इनमें अधिकतर इंजीनियरिंग विंग की इमारतें शामिल हैं।

    उल्लेखनीय है कि इस साल टैक्स जमा करवाने की सेल्फ असेसमेंट स्कीम 31 अगस्त को समाप्त हो गई है। ऐसे में अब जिन लोगों ने टैक्स जमा नहीं करवाया है उन्हें जुर्माने और ब्याज के साथ नोटिस भेजे जा रहे हैं। इस साल अब तक नगर निगम की 54.76 करोड़ रुपये की हाउस और प्रापर्टी टैक्स से कमाई हो चुकी है। इसमें 19 हजार कामर्शियल और 81 हजार रेजिडेंश्यल इमारतें शामिल हैं। नगर निगम ने इस साल हाउस और प्रापर्टी टैक्स से 75 करोड़ रुपये की कमाई करने का टारगेट रखा है। इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी पर सबसे ज्यादा 22.69 करोड़ रुपये बकाया है। पहले यह राशि कम थी, लेकिन परिसर के निरीक्षण के बाद इसमें संशोधन किया गया। इसी तरह पीजीआइ चंडीगढ़ पर निगम का 11.96 करोड़ रुपये बकाया है।