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Chandigarh Lok Sabha Seat: केंद्रीय मंत्री बंसल के बीच रोड़ा बने ये नेता, क्‍या 9वीं बार हाथ से जाएगा टिकट?

Chandigarh Lok Sabha Seat चंडीगढ़ सीट पर सस्‍पेंस अभी भी जारी है। केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल के बीच अपने ही नेता रोड़ा बने हुए हैं। बसंल पहले आठ बार चुनाव लड़ चुके हैं। अब देखना दिलचस्‍प होगा कि क्‍या उनको 9वीं बार भी टिकट मिल पाता है या नहीं। बंसल के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी टिकट के लिए प्रबल दावेदार है।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Published: Fri, 22 Mar 2024 03:17 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2024 03:17 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री बंसल के बीच रोड़ा बने ये नेता (फाइल फोटो)

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। आठ बार चंडीगढ़ सीट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। 9वीं बार टिकट के लिए उनके अपने रोड़े पैदा कर रहे हैं हालांकि बंसल इस बार भी आश्वासत है कि हाईकमान एक बार फिर से उन पर ही विश्वास जताएगा।

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साल 1991 से अब तक लगातार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बंसल के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी टिकट के लिए प्रबल दावेदार है।

कांग्रेस अध्‍यक्ष ने एचएस लक्‍की ने बंसल के खिलाफ खोला मोर्चा

टिकट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने भी बंसल के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। लक्की लगातार हाईकमान के समक्ष लॉबिंग कर रहे हैं। जबकि इससे पहले बंसल को टिकट के लिए इतनी चुनौती नहीं मिलती रही है। बंसल पिछले दो माह से चुनाव प्रचार में जुटते हुए लगातार शहर के मुद्दें उठा रहे हैं। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति में उम्मीदवार के नाम पर अंतिम मोहर नहीं लग पाई ऐसे में फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ दिया गया है।

बंसल को आठ बार मिली है टिकट

गुरुवार को कांग्रेस ने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की लेकिन चंडीगढ़ के उम्मीदवार की घोषणा नहीं हो पाई। लक्की गुट दो सप्ताह पहले टिकट के लिए हाईकमान के नेताओं को भी मिलकर आया है। बंसल को अब तक आठ बार टिकट मिली है, जिनमें से उन्होंने चार चुनाव जीते हैं और चार चुनाव हारे हैं।

पिछले दो चुनाव वह भाजपा की सांसद किरण खेर से हारते रहे हैं। इससे पहले तक यह होता था कि टिकट के लिए बंसल को कांग्रेस अध्यक्ष का साथ मिलता रहा है लेकिन इस बार ऐसा नहीं है इस बार अध्यक्ष लक्की खुद मजबूती से अपने लिए टिकट मांग रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल साल 1999 से 2014 तक लगातार शहर के सांसद रहे हैं।

2014 में लक्‍की ने भी किया था टिकट के लिए आवेदन

इस बार शहर से टिकट के लिए बंसल और लक्की के अलावा पूर्व मेयर रविंदर सिंह पाली, युवा कांग्रेस अध्यक्ष मनोज लुभाना, पूर्व युकां अध्यक्ष हरमेल केसरी और सतीश मंचाल ने भी आवेदन किया था। यह सभी नेता जिन्होंने आवेदन किया है वह कभी शहर में बंसल को ही मजबूत करने के लिए काम करते रहे हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।

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इससे पहले टिकट के लिए कभी भी किसी स्थानीय नेता की हिम्मत नहीं होती थी कि वह बंसल के खिलाफ टिकट की मांग करे। साल 2014 में भी लक्की ने उस समय टिकट के लिए आवेदन किया था तो उस समय वह अकेले पड़ गए थे और बंसल गुट की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा था। लेकिन इस समय लक्की कांग्रेस अध्यक्ष हैं और पार्टी के नेताओं का उन्हें साथ भी मिल रहा है।

आवेदन न करने के बावजूद तिवारी प्रमुख दावेदार

तिवारी ने बेशक आवेदन नहीं किया लेकिन हाईकमान की ओर से जो नाम शार्ट लिस्ट किया है उसमे मनीष तिवारी को भी प्रमुख दावेदार के तौर पर शामिल किया है। साल 2019 के चुनाव के समय मनीष तिवारी के अलावा नवजोत कौर सिद्धू ने भी टिकट के लिए आवेदन किया था। तिवारी गुट भी सक्रिय हो गया है वह कांग्रेस नेताओं के साथ अंदरूनी तौर पर बैठकें भी कर रहा है। पार्टी हाईकमान में इस समय पवन बंसल और मनीष तिवारी के नाम पर मंथन चल रह है।

आप के कार्यकर्ता भी करेंगे कांग्रेस उम्‍मीदवार का प्रचार

चंडीगढ़ की सीट आम आदमी पार्टी की ओर से छोड़ने से कांग्रेस के नेता खुश है क्योंकि इससे उन्हें लगता है कि वह इकट्टे होकर भाजपा का मुकाबला कर लेंगे। कांग्रेस के लिए सीट छोड़ने से आम आदमी पार्टी में जो दावेदार थे उन्हें जरूर झटका लगा है। आप के नेता चाहते हैं कि शहर से कांग्रेस द्वारा टिकट तय करने के समय उनकी पार्टी की भी राय ली जाए क्योंकि चुनाव के समय आप के कार्यकर्ता भी कांग्रेस उम्मीदवार के लिए डटकर प्रचार करेंगे। उम्मीदवार तय होने के बाद आप के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कांग्रेस के लिए तालमेल बनाना भी एक बड़ी चुनौती रहेगी।

संसद में तिवारी उठाते रहे हैं चंडीगढ़ के मुद्दें

सांसद तिवारी आनंदपुर साहिब के सांसद होने के बावजूद लोकसभा संसद में चंडीगढ़ के कई मुद्दों को उठा चुके हैं। इसके अलावा वह अपने सांसद निधि कोष से समय समय पर फंड भी दे चुके हैं। यह बात उनकी दावेदारी को और मजबूत भी कर रहे हैं।सांसद मनीष तिवारी चंडीगढ़ के बिजली निजीकरण का मामला भी संसद में उठा चुके हैं।

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साल 2019 में आप को मिले थे 3.82 फीसद वोट

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दो लाख 31 हजार(50.64 फीसद) कांग्रेस को एक लाख 84 हजार (40.35 फीसद) और आप को मात्र 13 हजार (3.82 फीसद) वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव में आप की जमानत जब्त हो गई थी लेकिन इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आप को एक लाख वोट मिली थी।


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