चंडीगढ़ में लोक अदालत ने मिलाए सात परिवार, जज ने कहा-पैसा नहीं पीस ऑफ माइंड मैटर करता है
चंडीगढ़ की लोक अदालत में सात परिवार फिर से एक हो गए, जहां वर्षों से कानूनी विवादों में उलझे दंपतियों ने न्यायाधीशों और वकीलों की मध्यस्थता के बाद सुलह ...और पढ़ें

सेक्टर-43 स्थित जिला अदालत में लगी लोक अदालत।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सेक्टर-43 स्थित जिला अदालत में शनिवार को राष्ट्रीय लाेक अदालत लगी। इस दौरान करीब 35 करोड़ रुपये जुड़े 21526 लंबित केसों का निपटारा किया गया। इस बार लोक अदालत इसलिए भी खास रही क्योंकि जज और वकीलों की मध्यस्ता से वर्षों से कानूनी विवाद में उलझे सात परिवार एक हो गए।
लोक अदालत में तलाक के सात केसों का निपटारा हुआ जिनमें दोनों पक्षों ने फिर से एक-साथ होने का फैसला लिया। इस मौके पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जज और स्टेट लीगल सर्विस अथाॅरिटी के चेयरमैन जस्टिस दीपक सिब्बल भी मौजूद थे। उन्होंने तलाक का केस लड़ रही पार्टियों से बात भी की और उन्हें समझाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा- न तो पैसा, न ही ज्वेलरी मैटर करती है, केवल पीस ऑफ माइंड ही मैटर करता है। इसलिए कानूनी विवादों काे खत्म करो और फिर से एक नई जिंदगी शुरू करो। जस्टिस दीपक सिब्बल ने लोक अदालत में अपना केस निपटाने आए कई लोगों से बात की।
इस दौरान एक दंपत्ती ऐसी भी थी जोकि पिछले पांच वर्षों से केस लड़ रही थी। दोनों ने एक-दूसरे पर कई केस दायर कर रखे थे। उनका केस शनिवार को लोक अदालत में आया। इस दौरान जज ने दोनों पार्टियों को समझाया।
उनकी दो बेटियां भी हैं जिसकी देखभाल के लिए पति-पत्नी आपस में फिर एक होने के लिए राजी हो गए। ऐसी और भी कई दंपत्तियां थीं जिन्होंने लोक अदालत के दौरान ही अपने केस को खत्म करने का फैसला लिया।
तीन साल पुराना साढ़े तीन करोड़ का विवाद सुलझा
इस दौरान साढ़े तीन करोड़ रुपये का एक सिविल मामला भा निपटा दिया गया। यह केस पिछले तीन वर्षों से लंबित था। दोनों पार्टियों में 3.20 करोड़ रुपये में समझौता करवा दिया गया। इसके अलावा छह साल पुराने 53 लाख रुपये के एक चेक बाउंस केस का भी निपटारा किया गया।

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