चंडीगढ़ नहीं है पंजाब की राजधानी! RTI में चौंका देने वाला खुलासा
चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी घोषित करने वाली कोई आधिकारिक अधिसूचना नहीं है। इस बाबत आरटीआई में भी जानकारी दी गई। पूर्व आईएएस और केएस राजू लीगल ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. राजू ने बताया कि सरकार के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जो यह साबित करे कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है। उन्होंने कहा इस समस्या की जड़ 1966 में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किए गए भेदभावपूर्ण कानून में

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी नहीं है। राज्य सरकार से राइट टू इंफोरमेशन (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में यह जवाब दिया गया है।
पूर्व आइएएस अधिकारी व केएस राजू लीगल ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. राजू ने कहा की सरकार की ओर से चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी घोषित करने संबंधी कोई अधिसूचना जारी नहीं की और उनके पास ऐसा कोई अधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है जो साफ करता हो कि चंडीगढ़ ही पंजाब की राजधानी है।
डॉ. राजू ने कहा कि इस समस्या का मूल कारण 1966 में कांग्रेस सरकार की ओर से लागू किया गया भेदभावपूर्ण कानून है। उदाहरण पेश करते हुए कहा गया कि साल 2014 में कांग्रेस सरकार की ओर से लागू किए आंध्र प्रदेश पुनर्गठन में यह स्पष्ट रूप से प्रावधान दिया गया था कि हैदराबाद दस साल के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों की आम राजधानी होगी।
'पंजाब की राजधानी के लिए कोई प्रावधान नहीं'
उसके बाद आंध्र प्रदेश के लिए एक नई राजधानी होगी। लेकिन पुनर्गठन अधिनियम 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पंजाब राज्य के लिए राजधानी का कोई प्रावधान ही नहीं किया। इसके बजाय अधिनियम कहता है कि चंडीगढ़ पंजाब राज्य का हिस्सा नहीं रहेगा।
डॉ. राजू ने कहा कि 25 जुलाई 2024 को उन्होंनें पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह (राजा वाडिंग) को सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया था।
पंरतु एक अगस्त 2024 को वह बहस छोड़ कर भाग निकले। डॉ. राजू ने एक अप्रैल 2022 के विधानसभा में पारित प्रस्ताव को महज एक तमाशा बताया।
इस प्रस्ताव में सिफारिश की गई थी कि राज्य सरकार चंडीगढ़ को तुंरत पंजाब को ट्रांसफर करने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष मामला उठाए।
'पत्राचार के बाद से कोई फोलोअप नहीं'
लेकिन आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला है कि पंजाब सरकार ने एक अप्रैल, 2022 को केंद्र सरकार को एक नियमित पत्र लिखकर महज एक दिखावा किया है। इस पत्राचार के बाद कोई फोलो अप कार्यवाही नहीं की गई। न तो कोई मुख्यमंत्री ने इसके बाद आज तक यह फाइल दोबारा मंगवाई और न ही कोई रिमांडर जारी किया।
डॉ. राजू ने हैरानी जताई कि पंजाब विधानसभा में उस प्रस्ताव पारी पारित करने के बाद इतने सारे सत्र आयोजित हुए लेकिन न तो सदन के अध्यक्ष, न ही हाउस समितियों के अध्यक्षों ने सरकार से कोई भी कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है।
यह तक कि सत्तारुढ़ आप पार्टी के 92 विधायक और मुख्य विपक्षी कांग्रेसी विधायक भी पूरी तरह से शांत हैं। इससे स्पष्ट हो गया है कि बड़े पैमाने पर आम जनता की कीमत पर पंजाब के मुद्दे पर लोगों को धोखा देने में यह पार्टियां एक दूसरे का साथ दे रही हैं। डॉ. राजू ने मांग की है कि पंजाब की राजधानी का चंडीगढ़ दर्जा मिले।

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