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    चंडीगढ़ के जीएमसीएच-32 में पंजाब के लोगों का आयुष्मान भारत के तहत नहीं होगा इलाज, सरकार से नहीं मिले 2.2 करोड़ बकाया

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Mon, 16 May 2022 11:56 AM (IST)

    पंजाब का करीब 2.2 करोड़ रुपये बकाया जीएमसीएच-32 अस्पताल प्रशासन ने बंद की व्यवस्था। बकाया जमा न होने तक अब मरीजों को नहीं मिलेगा इस सुविधा का लाभ। पंजाब में आयुष्मान भारत योजना के तहत 40 लाख परिवारों को दिया जाता है इसका लाभ।

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    आयुष्मान भारत योजना में हर वर्ष पांच लाख रुपये तक का उपचार निःशुल्क होता है। सांकेतिक चित्र।

    जागरण संवाददाता चंडीगढ़। पंजाब के लोगों के लिए बुरी खबर है। उनका राजधानी चंडीगढ़ के एक बड़े अस्पताल में अब आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार नहीं किया जाएगा। इसका कारण भी सरकार की ओर अस्पताल का बकाया नहीं देना है। बता दें कि पंजाब के भी निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के अधीन उपचार करने से इन्कार किया हुआ है। उनका भी कहना है कि सरकार ने अभी तक बकाया क्लीयर नहीं किया है।  

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    चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच-32) अस्पताल प्रशासन की ओर से पंजाब के मरीजों का आयुष्मान भारत के तहत होने वाली इलाज की सुविधा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पंजाब सरकार की ओर से आयुष्मान भारत योजना के तहत जीएमसीएच 32 को फंड रिलीज नहीं किया गया है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इस संदर्भ में पंजाब सरकार को नोटिस भी दिया जा चुका है। जीएमसीएच 32 अस्पताल प्रशासन की ओर से नोटिस के जरिए पंजाब सरकार से बकाया पैसे देने के लिए कहा गया है।

    पंजाब सरकार को अस्पताल को देने हैं 2.2 करोड़ रुपये

    गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल सेक्टर-32 के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. सुधीर गर्ग ने बताया कि पंजाब सरकार को आयुष्मान भारत के तहत जीएमसीएच 32 को 2.2 करोड़ रुपए देने हैं। उन्होंने बताया कि यह वह बकाया धनराशि है जो कि पंजाब से आए रोगियों के उपचार के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत खर्च की गई है। इस योजना के तहत पंजाब सरकार को यह धनराशि अस्पताल प्रशासन को फंड के तहत लौटानी है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। 

    पंजाब में आयुष्मान भारत योजना में 40 लाख परिवार

    जानकारी के अनुसार पंजाब में आयुष्मान भारत योजना के तहत 40 लाख परिवार इस योजना के तहत आते हैं। इन 40 लाख परिवारों को इस योजना के तहत हर साल पांच लाख रुपये तक का निःशुल्क इलाज उपलब्ध होगा।