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    चंडीगढ़ बिजली विभाग ने अपने ही कर्मचारी को भेज दिया 1.18 लाख रुपये का बिल, कोर्ट से मिला न्याय

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Wed, 23 Feb 2022 04:31 PM (IST)

    बिजली विभाग की तरफ से संजय पोपली के नाम पर सेक्टर-7 में एक मकाल अलॉट हुआ था। यह मकान संजय ने साल 2003 में खाली कर दिया था। क्योंकि उसका शहर से पंजाब क ...और पढ़ें

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    चंडीगढ़ कंज्यूमर फोरम ने बिजली विभाग पर हर्जाना लगाया है।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ बिजली विभाग ने अपने ही विभाग के कर्मचारी को सरकारी मकान का लाखों रुपये का भारी भरकम बिजली का बिल भेज दिया। विभाग की लापरवाही का आलम यह रहा कि जिस सरकारी मकान का यह बिजली बिल भेजा गया उसे उक्त कर्मचारी 15 साल पहले ही खाली कर चुका था।

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    चंडीगढ़ सेक्टर-11 के रहने वाले संजय पोपली के नाम पर यह भारी भरकम बिजली बिल आने के बाद उन्होंने इसकी शिकायत चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग में दी जहां से उन्हें न्याय मिला है। आयोग ने उनका यह बिजली बिल माफ कर दिया है। 

    बिजली विभाग की तरफ से संजय पोपली के नाम पर सेक्टर-7 में एक मकाल अलॉट हुआ था। यह मकान संजय ने साल 2003 में खाली कर दिया था। क्योंकि उसका शहर से पंजाब के फिरोजपुर में ट्रांसफर हो गया था। बावजूद बिजली विभाग ने उसे खाली मकान का बिजली बिल 1,18,306 रुपये भेज दिया।

    इस बात को लेकर संजय ने आयोग में शिकायत दी थी जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बिल की राशि माफ करने के साथ बिजली विभाग पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें 2004 में सेक्टर-11 में घर आवंटित किया गया था। उक्त मकान के आवंटन से पहले, उन्हें सेक्टर-7सी में मकान आवंटित किया गया था, जिसे उन्होंने फिरोजपुर में स्थानांतरित होने के कारण दिसंबर 2003 में खाली कर दिया था।

    साल 2019 में बिजली विभाग ने भेजा बिल

    शिकायतकर्ता संजय पोपली ने बताया कि बिजली विभाग की तरफ से उन्हें 25 फरवरी 2019 को 1,18,306 रुपये का बिजली बिल भेजा गया था। 25 फरवरी 2019 जिसमें पुरानी रीडिंग 42174 और नई रीडिंग 44354 दिखाई गई। वहीं 2180 यूनिट की खपत भी बिल में दिखाई गई। शिकायतकर्ता के अनुसार 15 वर्ष की अवधि के बाद कथित विविध शुल्क की मांग अवैध थी और उन्होंने बिजली बिल भरने से भी मना कर दिया था।

    बिजली का बिल प्राप्त होने के बाद संजय ने इसके बारे में पूछताछ की। इस दौरान उन्हें बताया गया कि साल 2004 से 48,681 रुपये की राशि बकाया है। संजय ने बताया कि उन्हें बिना कोई सूचना के यह भारी भरकम बिल भेजा गया, जबकि उस मकान में वह रहता ही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सेक्टर-7सी के मकान में लगे मीटर के कथित लंबित बिजली बिल के संबंध में कोई नोटिस नहीं मिला था और न ही इस तरह के किसी भी कथित चूक के कारण नया कनेक्शन जारी करने के संबंध में कोई जानकारी दी गई। 

    जब बिजली का बिल था लंबित तो कैसे जारी की एनओसी

    आयाेग में शिकायतकर्ता ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन के मकान आवंटन नियमों के अनुसार, खाली हुए सरकारी आवास की एनओसी कर्मचारी को तब तक जारी नहीं की जाती है, जब तक कि मैंटेनेंस विभाग को बिजली एवं पानी शुल्क का कोई बकाया प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है। जबकि उसे 2003 में मकान खाली करते समय विभाग की तरफ से एनओसी जारी की गई थी।