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    चंडीगढ़ में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म, झूठ बोलकर की बचने की कोशिश, डीएनए मैच हुआ था खुली पोल

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 02:25 PM (IST)

    चंडीगढ़ की जिला अदालत ने आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में एक युवक को दोषी करार दिया है। दोषी मुकेश उर्फ डाडी ने बचने के लिए झूठ बोलने की कोशिश ...और पढ़ें

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    दुकान से सामान लाने के लिए पैसे दिए, बहाने से घर के अंदर बुलाया। थप्पड़ मारे और फिर गलत हरकत की।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले एक युवक को जिला अदालत ने दोषी करार दे दिया है। 15 दिसंबर को सजा सुनाई जाएगी। दोषी 25 वर्षीय मुकेश उर्फ डाडी झूठ बोलकर की बचने की कोशिश करता रहा, लेकिन डीएनए मैच होने पर उसकी पोल खुल गई।

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    वह बच्ची के पड़ोस में ही रहता था। उसने कुछ सामान लाने के बहाने बच्ची के अपने घर में बुलाया और फिर दुष्कर्म किया। पुलिस ने दो साल पहले उसे गिरफ्तार कर केस दर्ज किया था।

    पुलिस ने वीमेन एंड चाइल्ड हेल्पलाइन की काउंसलर की रिपोर्ट के आधार पर यह केस दर्ज किया था। बच्ची ने चाइल्ड हेल्पलाइन पर बताया था कि वह अपने घर के पास खेल रही थी। तभी पड़ोस के युवक ने दुकान से कुछ सामान लाने के लिए उसे पैसे दिए।

    फिर बहाने से उसे अपने घर के अंदर बुला लिया। वहां उसने थप्पड़ मारे और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची ने घर आकर अपनी मां को सारी बात बताई। जिसके बाद मामला सामने आया और पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।

    बच्ची के कपड़ों और शरीर के हिस्सों से कुछ डीएनए सैंपल लिए थे

    पुलिस ने जांच के दौरान बच्ची के कपड़ों और शरीर के हिस्सों से कुछ डीएनए सैंपल लिए थे। जब उनकी जांच की गई तो वह किसी पुरुष के डीएनए पाए गए। उन्हें मुकेश के डीएनए से मैच करवाया गया तो वह मेल खा गए। ऐसे में यह पुष्टि हो गई थी कि मुकेश ने ही बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। हालांकि वह अदालत में कहता रहा कि उसने बच्ची के साथ कुछ गलत नहीं किया।

    उसके वकील ने अदालत में दलील दी कि बच्ची ने जज के आगे दिए बयान में कहा था कि उसके साथ दो लोगों ने दुष्कर्म किया, लेकिन केवल उसे ही गिरफ्तार किया गया जबकि दूसरे आरोपित के बारे में जांच ही नहीं की गई। बच्ची ने मेडिकल आफिसर के सामने कुछ और बयान दिए। ऐसे में उसकी गवाह पर संदेह जाता है। हालांकि आरोपित की इन दलीलों को अदालत ने नहीं माना और उसे दोषी करार दे दिया।