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    कंज्यूमर कोर्ट का बड़ा फैसला: अगर कोई स्टूडेंट क्लास अडेंट नहीं कर पाता तो वह फीस वापस लेने का हकादार

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Sun, 15 May 2022 10:16 AM (IST)

    शिकायतकर्ता ने फ्रेंकफिन इंस्टिट्यूट में कोर्स के लिए दाखिला लिया था और उसके लिए उसने 37000 फीस भी भरी थी लेकिन पारिवारिस समस्या के कारण रितिका क्लास ज्वाइन नहीं कर पाई और उसने संस्थान से अपनी फीस वापस मांगी थी लेकिन संस्थान ने फीस वापस करने से मना कर दिया।

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    सेक्टर-19 स्थित कंज्यूमर कोर्ट परिसर की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने साल 2020 में सेक्टर-34 स्थित फ्रेंकफिन इंस्टीट्यूट के खिलाफ एक शिकायत पर स्टूडेंट की फीस 37 हजार रुपये वापस करने के साथ ही 7500 रुपये हर्जाना और 7500 रुपये केस खर्च के रूप में जमा करने का आदेश दिया था। संस्थान आयोग ने इस फैसले के खिलाफ चंडीगढ़ स्टेट कमीशन में अपील की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।

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    कमीशन ने सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की बात को दोहराया कि सात न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कोचिंग कक्षाओं का संचालन परिभाषित करते हुए कहा कि यह शिक्षा की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है। कोचिंग सेंटरों को नियमित स्कूलों या कालेजों के बराबर नहीं रखा जा सकता है। इंस्टीट्यूट के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के कांंगड़ा के फतेहपुर की रहने वाली रितिका राणा ने शिकायत दी थी। कमीशन ने आदेश दिया कि संस्थान 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को पूरी राशि का भुगतान करें।

    दरअसल शिकायतकर्ता ने फ्रेंकफिन इंस्टिट्यूट में कोर्स के लिए दाखिला लिया था और उसके लिए उसने 37000 फीस भी भरी थी, लेकिन पारिवारिस समस्या के कारण रितिका क्लास ज्वाइन नहीं कर पाई और उसने संस्थान से अपनी फीस वापस मांगी थी, लेकिन संस्थान ने फीस वापस करने से मना कर दिया। इसके बाद रितिका ने कंज्यूमर कोर्ट में संस्थान के खिलाफ शिकायत दी थी।

    फ्रेंकफिन इंस्टीट्यूट के खिलाफ आयोग को दी गई शिकायत में रितिका राणा ने आरोप लगाया कि उन्हाेंने अपने पारिवारिक समस्या की जानकारी संस्थान को दी थी। इसके बाद उन्होंने एक मई 2019 को इंस्टीट्यूट को मेल भेजकर अपनी फीस की राशि वापस मांगी। 6 मई को संस्थान की तरफ से शिकायतकर्ता की मेल का जवाब दिया कि वह उसकी फीस की राशि वापस नहीं करेंगे।

    स्टूडेंट अपनी फीस वापस लेने का हकदार

    कमीशन ने सुनवाई करते हुए कहा कि आयोग अगर किसी शिकायत की सुनवाई करता है तो वह दोनों पक्षों को ध्यान में रखता है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनता है। उपभोक्ता आयोग ने संस्थान के खिलाफ जो आदेश जारी किया है, वह बिल्कुल सही है। अगर कोई स्टूडेंट किसी वजह से क्लास नहीं लगाता है तो संस्थान किसी भी शर्त में उसकी फीस अपने पास नहीं रख सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस स्टूडेंट ने संस्थान को फीस क्लास लगाने की दी थी, जब उसने क्लास लगाई नहीं तो वह अपनी राशि वापस लेने का हकदार है।

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