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    चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने रेलवे पर लगाया 15 हजार का हर्जाना, रिटायर्ड कर्मचारी को नहीं दिया था पूरा एक्सीडेंटल क्लेम

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Tue, 31 May 2022 11:00 AM (IST)

    आयोग को शिकायत रेलवे से रिटायर्ड चंडीगढ़ सेक्टर-21 के रहने वाले 82 वर्षीय जगमोहन सिंह ने की थी। उन्होंने बताया कि वह घर के बाथरूम में गिर गए थे और उन्हें चोट लग गई थी। उन्हें इलाज के लिए जीएमएसएच सेक्टर 16 में भर्ती किया गया।

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    रिटायर्ड कर्मचारी की सर्जरी पर 56,037 रुपये खर्च हुए थे।

    वैभव शर्मा, चंडीगढ़। चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने रेवले के अंबाला मंडल पर 15 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। रेलवे के खिलाफ विभाग के एक रिटायर्ड कर्मचारी ने शिकायत दी थी। विभाग से रिटायर्ड कर्मचारी को बीमा का पूरा क्लेम न देने पर आयाेग ने अंबाला कैंट स्थित नार्दन रेलवे अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट पर हर्जाना लगाया। आयोग ने रेलवे को शिकायतकर्ता की शेष राशि 8178 रुपये वापस करने और 10 हजार रुपये केस के खर्च के तौर पर देने का आदेश दिया है। चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के अलावा इस शिकायत में नई दिल्ली स्थित नार्दन रेलवे बरोड़ा हाउस के चीफ मेडिकल डायरेक्टर, अंबाला मंडल के डिविजनल रेलवे मैनेजर फाइनेंस और चंडीगढ़ रेलवे डिस्पेंसरी के असिस्टेंट मेडिकल आफिसर को भी पार्टी बनाया गया था।

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    आयोग को शिकायत रेलवे से रिटायर्ड चंडीगढ़ सेक्टर-21 के रहने वाले 82 वर्षीय जगमोहन सिंह ने की थी। उन्होंने बताया कि वह घर के बाथरूम में गिर गए थे और उन्हें चोट लग गई थी। उन्हें इलाज के लिए जीएमएसएच सेक्टर 16 में भर्ती किया गया। 5 जुलाई 2018 को उन्हें जीएमसीएच सेक्टर 32 में रेफर किया गया था। यहां पर 10 जुलाई 2018 को इनकी सर्जरी हुई, जिसका खर्च 56,037 रुपये आया था।

    रेलवे डिस्पेंसरी के असिस्टेंट मेडिकल आफिसर ने दस्तावेज लेने से किया मना

    शिकायतकर्ता ने बताया कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने सभी संबंधित दस्तावेजों/बिल की एक फाइल तैयार की। यह फाइल उन्होंने चंडीगढ़ रेलवे डिस्पेंसरी के असिस्टेंट मेडिकल आफिसर को 2 मार्च 2019 को दिए। असिस्टेंट मेडिकल आफिसर दस्तावेजों को जमा करने में देरी बताकर उन्हें लेने से इनकार कर दिया।इसके बाद उन्हाेंने दोबारा 6 मार्च 2019 को दस्तावेजों को जमा करने में हुई देरी को लेकर पत्र लिखा। बावजूद अधिकारी ने उसे स्वीकार नहीं किया। 

    47, 319 रुपये का भुगतान करने के बाद रेलवे ने झाड़ा पल्ला

    शिकायतकर्ता ने आयोग में अपने इलाज और बीमा से जुड़े सभी दस्तावेजों को सुबूत के तौर में पेश किया। शिकायतकर्ता को 56,037 रुपये की राशि के बजाय सिर्फ 47,319 रुपये का भुगतान किया गया था। आयोग ने आदेश देते हुए कहा कि बीमा होने के बावजूद और सभी दस्तावेजों को दिखाने के बाद रेलवे का यह रैवेया शर्मनाक है।