चंडीगढ़ निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा की मेहरबानी! अर्जेंट वर्क बता बिना टेंडर के पीएसयू को दिया काम, 3 महीने का काम 7 माह में भी नहीं
चंडीगढ़ नगर निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा पर बायो माइनिंग में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। उन्होंने बिना टेंडर के पीएसयू को काम दिया, जिन्होंने आगे प्राइवेट कंपनियों को सबलेट कर दिया। डेडलाइन के बावजूद कचरा निस्तारण में देरी हुई है, जिससे शहर में कचरे का पहाड़ बढ़ता जा रहा है। इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम के अफसरों के हवाई दावों की पोल हर रोज खुलती जा रही है। हाल ही में हटाए गए चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा तथा अन्य अफसरों ने बायो माइनिंग के काम में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का डर दिखाकर मार्च माह में दो पीएसयू को महंगे दामों पर काम अलॉट किया था। चीफ इंजीनियर ने दावा किया था कि यह दो पीएसयू मई माह के अंत तक डंपिंग ग्राउंड से डेढ़ लाख टन कचरा उठा देंगे। हालत यह है कि अक्टूबर माह समाप्त होने को है लेकिन आधा कचरा भी इन पीएसयू ने नहीं उठाया है।

संजय अरोड़ा की देखरेख में नगर निगम ने यह काम अर्जेंट बताकर बिना किसी टेंडर के पीएसयू को दिया गया। पीएसयू ने काम खुद करने के बजाय आगे काम प्राइवेट कंपनियों को सबलेट कर दिया। आरोप लग रहा है कि जिन कंपनियों को आगे काम बैक डोर से सबलेट किया गया है वह इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों की खास है।
अफसरों को अंधेरे में रखा
निगम के अफसरों ने चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रशासन के अफसरों और पार्षदों को भी अंधेरे में रखा। चीफ सेक्रेटरी को जुलाई माह में बताया गया कि अभी इस काम में एक माह और लगेगा जबकि वास्तविकता यह है कि अभी बायो माइनिंग का काम दो माह तक भी पूरा नहीं होगा।
नई डेडलाइन नवंबर माह की
निगम एक तरफ कचरे को उठाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है वहीं दूसरी तरफ नया पहाड़ खड़ा होता जा रहा है। शहर से हर रोज 220 टन कचरा डंपिंग ग्राउंड में पहुंचता है। निगम ने डेढ़ लाख टन कचरा उठाने का काम पीएसयू को दिया है। बरसात के दौरान दो माह कचरा नहीं उठाया गया। यहां तक कि अभी भी पीएसयू ने कचरा उठाने में तेजी नहीं दिखाई है। इससे कचरे का पहाड़ खड़ा होता जा रहा है। अब निगम के अफसर नवंबर माह के अंत तक कचरा क्लियर करने के दावे कर रहे है।
पीएसयू को अलॉटमेंट पर सवाल
शहर में बायो माइनिंग के काम में गड़बड़ियों की शिकायत केंद्र के पास भी पहुंच गई हैं। इस शिकायत में कहा गया है कि निगम के अफसरों ने न केवल राजस्व का नुकसान पहुंचाया बल्कि सीवीसी और जनरल फाइनेंशियल रूल्स की वायलेशन कर चहेती कंपनियों को बैक डोर एंट्री दी। पीएसयू को केवल बिना टेंडर के काम देने का जरिया बनाया। इस पूरी अल्टीमेट प्रक्रिया की सीबीआई जांच की मांग भी की जा रही है
किसी के पास जवाब नहीं
काम समाप्ति और प्रोग्रेस रिपोर्ट को लेकर पूर्व चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा से कई सवाल पूछे गए थे लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अब इसकी शिकायत सीबीआई तक भी पहुंच गई है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।