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    चंडीगढ़ बना साइबर क्राइम का गढ़, 5 साल में 22,292 लोगों से हुआ आनलाइन फ्राड, जानें क्या है बड़ी वजह

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Sun, 19 Dec 2021 11:38 AM (IST)

    Cyber Crime in Chandigarh सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ साइबर क्राइम का गढ़ बनता जा रहा है। साइबर ठगों के सामने चंडीगढ़ की स्मार्ट पुलिस फेल साबित हो रही है। आंकड़ों की मानें तो शहर में बीते 5 साल में 22292 लोग साइबर क्राइम के शिकार हुए हैं।

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    इन दिनों नौकरी लगवाने के नाम पर धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।

    कुलदीप शुक्ला, चंडीगढ़। Cyber Crime in Chandigarh: सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ साइबर क्राइम का गढ़ बनता जा रहा है। शहर में साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए साल 2018 में यूटी पुलिस विभाग की तरफ से एक साइबर थाना बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। एक तरफ प्रस्ताव अभी तक अटका हुआ, जबकि दूसरी तरफ चंडीगढ़ साइबर क्रिमिनल के लिए अड्डा बनता जा रहा है। साइबर ठगों के सामने चंडीगढ़ की स्मार्ट पुलिस फेल साबित हो रही है। आंकड़ों की मानें तो शहर में बीते 5 साल में 22,292 लोग साइबर क्राइम के शिकार हुए हैं।

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    बता दें कि स्मार्ट सिटी का दर्जा पा चुका शहर चंडीगढ़ में साइबर क्राइम से निपटने के लिए एक भी पुलिस थाना नहीं है। जबकि हैदराबाद, बेंगलुरु, जयपुर समेत अन्य शहरों में साइबर अपराध से निपटने के लिए अलग से पुलिस थाना है। साइबर सेल का कहना है कि अगर शहर में अलग से थाना बन जाए तो काफी हद तक साइबर क्राइम को रोका जा सकता है। साइबर थाना न होने से भी चंडीगढ़ में साइबर क्राइम बढ़ रहा है।

    साइबर सेल के अनुसार, लोगों के मोबाइल और ईमेल पर लिंक भेजकर धोखाधड़ी की जा रही है। उस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक अकाउंट से जुड़ा विवरण शातिरों तक पहुंच जाता है और बड़े आराम से वह चूना लगा देते हैं। इन दिनों नौकरी लगवाने के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। साइबर सेल के इंचार्ज इंस्पेक्टर हरिओम ने बताया कि किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने बैंक खाते से संबंधित जानकारी न दें।

    शहर में साल 2020 में साइबर क्राइम की सबसे ज्यादा 6500 शिकायतें चंडीगढ़ पुलिस को मिली हैं। इनमें ज्यादतर मामले कार्ड क्लोनिंग, एटीएम पिन, आनलाइन शॉपिंग, अकाउंट हैकिंग, आनलाइन नौकरी, ओएलएक्स पर खरीदारी, ऐनी डेस्क साफ्टवेयर से जुड़ी हैं। चंडीगढ़ साइबर सेल के इंचार्ज इंस्पेक्टर हरिओम ने बताया कि किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने बैंक अकाउंट से संबंधित कोई भी जानकारी शेयर न करें।

    मोबाइल और सिम किसी दूसरे का करते हैं इस्तेमाल

    पुलिस जालसाज तक पहुंचने के लिए मोबाइल नंबर से लोकेशन ट्रेस करती है। वहां पहुंचती है तो पता चलता है उनके नाम पर कोई दूसरा व्यक्ति सिम का इस्तेमाल कर रहा है। जालसाज इतने शातिर हैं कि वह काल कहीं से करते हैं और रुपये किसी दूसरी जगह से निकाले जाते हैं। इसलिए पुलिस को आरोपितों तक नहीं पहुंच पाती। शातिर दूर दूसरे राज्यों में बैठकर धोखाधड़ी करते हैं।

    साल                             शिकायतें             एफआइआर दर्ज                  गिरफ्तार

    2017                            2242                    43                                  32

    2018                            3164                    35                                  16   

    2019                            4793                    35                                  13   

    2020                            6537                    80                                  33

    2021                            5556                    65                                  35